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भद्रावास योग में दिया जाएगा डूबते सूर्य देव को अर्घ्य, प्राप्त होगा कई गुना फल

नई दिल्ली : हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा मनाई जाती है। इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। जबकि, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को प्रातः काल में उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो छठ पूजा पर दुर्लभ ‘वृद्धि’ योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में व्रत करने से कई गुना लाभ प्राप्त होता है।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 19 नवंबर को प्रातः काल 07 बजकर 23 मिनट तक है। इसके पश्चात, सप्तमी तिथि है। इसके लिए 19 नवंबर को भानु सप्तमी भी है।

ज्योतिषियों की मानें तो छठ पूजा के दिन वृद्धि और ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग का निर्माण देर रात 11 बजकर 28 मिनट तक है। इसके बाद ध्रुव योग का शुभ योग बन रहा है। व्रती वृद्धि योग में सूर्य देव को जल का अर्घ्य देंगी। इस योग में सूर्य देव की उपासना करने से सुख और समृद्धि में अपार वृद्धि होगी।

छठ पूजा के दिन तैतिल और गर करण का निर्माण हो रहा है। सर्वप्रथम तैतिल करण का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण प्रातः काल 07 बजकर 23 मिनट तक है। इसके बाद गर करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष दोनों योग को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य कर सकते हैं।

छठ पूजा पर भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। शास्त्रों में निहित है कि जब भद्रा पाताल में रहती हैं, तो समस्त जगत का कल्याण होता है। विशेष तिथि पर भद्रावास का निर्माण होना शुभ माना जाता है।

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