ज्ञानेंद्र शर्मादस्तक-विशेषराजनीतिस्तम्भ

कैद में है बुलबुल, सैय्याद मुस्कुराये

ज्ञानेन्द्र शर्मा

प्रसंगवश

स्तम्भ: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर होने वाले राजस्थान विधानसभा सत्र की बेला पर कैद में रखे जा रहे विधायकों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। कांग्रेस ने अपने विधायक जैसलमेर भेजे तो अब भाजपा भी पीछे नहीं रही। उसका कहना है कि उसके विधायकों को कांग्रेस वाले परेशान कर रहे हैं और उन्हें इस मानसिक उत्पीडऩ से बचाने के लिए ‘अपने मुल्क’ गुजरात भेजा जा रहा है।

जैसे तैसे राज्यपाल कलराज मिश्रा ने मुख्यमंत्री की बात मान ली और 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुला लिया गया है। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई उपाय कर लिए। यहां तक कि प्रधानमंत्री से भी बात कर ली और गृहमंत्री अमित शाह को सम्बोधित करते हुए उनसे कहा, शाह साहब आपको ये क्या हो गया है? सोते जागते, दिन और रात आप यही सोचते रहते हो कि कैसे कोई सरकार गिराई जाय।

शाह जी, चुनिंदा सरकारें इसी तरह गिरती रहीं तो लोकतंत्र का क्या होगा? अब कौन किसी को बताए कि शाह जी ऐसी बातें सुनने के लिए अपने कान खुले नहीं रखते। सत्तारूढ़ पार्टी को ऐसे कदम उठाने की कम ही आवश्यकता पड़ती है लेकिन गहलोत जी ने अपने कांग्रेसी विधायकों को किराए पर अनुबंधित किए गए विमानों से जैसलमेर भेज रखा है। राजस्थान का सबसे बड़ा जिला जैसलमेर जयपुर से है भी बहुत दूर।

थार रेगिस्तान के मध्य में स्थित जैसलमेर राजधानी जयपुर से 575 किमी दूर है। अपने विधायकों को इतनी दूर बसों से भेजकर उन्हें कष्ट नहीं दिया जा सकता था। सो विमान किराए पर लिए गए। आखिर 14 अगस्त को उनकी बेहद जरूरत पडऩे वाली है सो मुख्यमंत्री ने जैसलमेर के एक बड़े होटल में उन्हें पूरे सुख चैन के साथ ठहरा दिया है।

अभी मौसम भी वहां ठीक है वरना जब गर्मी पड़ती है तो पारा 50 डिग्री तक चला जाता है। अभी तो कांग्रेस के विधायक आराम से होटल से बाहर निकलकर पीले पत्थरों की इमारतों वाले स्वर्णिम शहर जैसलमेर में घूम सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी और सचिन पायलट की पहुंच से दूर, बहुत दूर।

विद्रोही कांग्रेसी पायलट ने भी अपने 18 विधायकों की खुशामद में कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने भाजपा के संरक्षण में उसके शासित राज्य हरियाणा के गुरुग्राम भेजा है। वहां के एक बेहतरीन लक्जरी होटल में अपने माननीय विधायकों को आरामदायक कैदखाना मुहैया कराया गया है।

पायलट कहते हैं कि वे कांग्रेस में ही हैं और भाजपा में नहीं जा रहे हैं लेकिन उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि उन्होंने अपने विद्रोही तेवरों वाले विधायकों को भाजपा-शासित राज्य में ही क्यों भेजा और उनके होटल का बिल कौन दे रहा है?

एक अनोखा परिदृश्य यह भी है कि विपक्षी दल भाजपा भी आतंकित और आशंकित है। उसे अपने विधायकों की फिक्र हो रही है। उसे लग रहा है कि 72 विधायकों की उसकी पूंजी में कांग्रेस डकैती न डाल दे और भाजपा की नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कोई खोल न कर दें। सो उसने अपने 20 विधायकों के बिस्तर बंधवा दिए। पहले शुक्रवार को 13 और फिर शनिवार को 6 विधायक भाजपा-शासित गुजरात भेज दिए गए हैं। पोरबंदर एयरपोर्ट पहुंचने पर एक प्रमुख विधायक ने कहा कि हम तो सोमनाथ बाबा के दर्शन करने आए हैं।

पिछले छह सालों में विभिन्न राज्यों के 119 कांग्रेसी विधायक पाला बदलकर भाजपा में गए हैं। पिछले कुछ सालों में दल बदल विरोधी कानून के बाद भी भारी संख्या में विधायकों ने पाले बदले और 1967 में आया राम गया राम का जो दौर शुरू हुआ था, उस पर कोई कानून व कोई कोर्ट पूर्ण विराम नहीं लगा पाया। कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में कम से कम 212 दल-बदलू विधायकों को पाला-बदल का ईनाम मिला, वे मंत्री बना दिए गए। कितना सुखद है दल बदलना। कर्नाटक और मध्यप्रदेश हाल के उदाहरण हैं जबकि सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों के बागी तेवर भी हो सकता है जल्दी ही नया उदाहरण पेश कर दें।

फिलहाल तो राजस्थान सरकार का भविष्य अनिश्चितता में अटक गया है। 14 अगस्त से होने वाले अधिवेशन में क्या होगा, कोई नहीं जानता। एक तो यह अभी पता नहीं कि पायलट और उनके विधायक क्या करेंगे और सदन में जो कुछ होगा, उस पर राज्यपाल की कृपादृष्टि किस नजरिए से पड़ती है- वे सदन की कार्यवाही पर कोई फैसला करने से पहले क्या दिल्ली की तरफ ताकेंगे या फिर गेंद को अपनी स्वाभाविक गति से लुढ़कने देंगे।

14 अगस्त को क्या होगा, इसके संकेत अभी स्पष्ट नहीं हैं। अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की कभी शतरंज तो कभी ताश के पत्तों की जो बाजियां अपने शबाब पर हैं, उनसे पर्दा हटना अभी बाकी है। यह देखना-जानना बड़ा दिलचस्प होगा कि जयपुर के अलावा गुरुग्राम, जैसलमेर और पोरबंदर से किस दिशा में कौन से तीर छूटते हैं।

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और अंत में,

चाह नहीं मैं बनूॅ डाक्टर, मरीजों से पीटा जाऊ,

चाह नहीं बन आइएएस, स्कैमों में लिपटा जाऊ,

चाह नहीं बन इंजीनियर, सर, सर, सर कहता जाऊ,

मुझे बनाकर एक विधायक, उस होटल में तुम देना फेंक

सूटकेस में ऑफर लेकर, नेता आएं जहां अनेक।

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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त हैं।)

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