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Chhath Puja 2021: जानें कब से शुरू होगा छठ का महापर्व और नहाय खाय का क्या है महत्व ?

नई दिल्ली: दिवाली, गोवर्धन पूजा और भैया दूज के सम्पन्न होते ही लोगों को छठ पूजा (Chhath Puja) का इंतजार बहुत ही बेसर्बी से रहता है। छठ पूजा के दिन सूर्य देव की पूजा होती है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। इस साल सूर्य और छठी मैया की उपासना का महापर्व छठ 8 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है। 9 नवंबर को खरना, 10 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य और 11 नवंबर को प्रात: कालीन अर्घ्य दिया जाएगा। मान्यता है कि छठ पूजा के चार दिनों के दौरान सूर्य और छठी माता की पूजा करने वाले लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है। तो आइये जानते हैं छठ पूजा के बारे में विस्तार से।

पहला दिन-नहाय-खाय

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इसी दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण करती हैं।

दूसरा दिन-खरना

छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। पूरे दिन महिलाएं व्रत रखने के बाद शाम को भोजन करती हैं। खासतौर पर इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है। इसके अलावा खीर को मिट्टी के चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। खरना इस बार 9 नवंबर को पड़ रहा है

तीसरा दिन – सांध्या अर्घ्य

इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद तथा फल की टोकरी सजा कर व्रती इस दिन शाम के समय किसी तालाब या नदी के घाट पर जाती हैं। महिलाएं छठी मैया की पूजा-अर्चना करने के बाद पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।

चौथा दिन – प्रात:कालीन अर्घ्य

छठ पूजा के चौथे दिन महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। इस दिन महिलाएं सुबह के समय घाट पर जाकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं। इसी के साथ छठ पूजा का समापन होता है।

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