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पूरी तरह से उभर नहीं पाए हैं बच्चे, मानसिक स्वास्थ्य पर रखें नजर

नई दिल्ली : कोविड-19 अभी पूरी तरह से गया नहीं है, आज भी यह जारी है लेकिन अब इसका असर उतना नहीं है जितना पहले था। इस महामारी के दौर में एक तरफ जहाँ बड़े शिकार हुए वहीं जो परिस्थितियाँ बनीं उनका सबसे गहरा असर बच्चों पर पड़ा। लगातार डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय तक बच्चे घरों में बंद रहे, जहाँ उन्हें सिर्फ और सिर्फ यह सुनने को मिलता था कि बाहर नहीं जाना है। किसी से बात नहीं करनी है, किसी चीज को छूना नहीं है। कहने का तात्पर्य यह है कि डेढ़ वर्ष से भी अधिक समय से कोरोना महामारी के चलते बच्चे अपने दोस्तों, खेलकूद और स्कूल से दूर रहे थे, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा। इस वर्ष स्कूल-कॉलेज अपने समय अनुसार खुल चुके हैं। परिजनों ने अपने बच्चों को एक बार फिर से स्कूल-कॉलेज भेजना शुरू कर दिया है। स्कूल संचालकों का कहना है कि बच्चा स्कूल आ रहा है यह सही है लेकिन उसका मानसिक स्तर अब पहले जैसा दिखाई नहीं दे रहा है। बच्चे मानसिक और भावनात्मक स्तर पर स्वयं को कमजोर महसूस करने लगे हैं। बच्चों ने क्या स्वयं बड़ों ने भी इस तरह की परिस्थिति पहले नहीं देखी थी। माता-पिता बच्चों के व्यवहार को अनुभव करें। उनकी चिंता और जटिल भावनाओं को समझने के लिए उनके साथ उचित व्यवहार रखें। उन्हें घर में ही एक अच्छा और खुशनुमा वातावरण देने का प्रयास करें।

बच्चों से नियमित रूप से बात करें और एक अच्छे श्रोता बनें। उनकी चिंताओं और निराशाओं पर सकारात्मक और सृजनात्मक रूप से चर्चा करें। टेलीफोन के माध्यम से उन्हें उनके दोस्तों के सम्पर्क में बनाए रखें। अपने परिजनों से भी फोन वीडियो काल या अन्य माध्यम से जुड़ें रहें।

नियमित रूप से आभार व्यक्त करना खुशी को बढ़ावा देता है। इससे तनाव और अवसाद कम होता है। अपने बच्चे को हर दिन कम से कम तीन लोगों, स्थानों, घटनाओं या चीजों को लिखने में मदद करें, जिनके प्रति वे आभार महसूस करते हैं। दूसरों में सकारात्मक लक्षणों के बारे में सोचें जो हमें सुरक्षा का एहसास कराते हैं। ईमानदारी से मौखिक या कृतज्ञता के लिखित भाव को बढ़ावा दें। सोते समय कुछ मिनट के लिए लिखें या कम से कम उस एक चीज के बारे में बात करें, चाहे वह कितनी ही छोटी हो या दिन का एक हिस्सा जिसके लिए आप और आपका परिवार कृतज्ञ हो।

टीवी और मोबाइल फोन के समय को सीमित करें। बच्चों और परिवार के सदस्यों के साथ कोई किताब पढ़ें। गाने गाएं, वीडियो साझा करें, एक साथ खाना बनाना आदि कर घर में अच्छा माहौल बनाएं।

व्यायाम करने से शरीर कई रसायन छोड़ता है। ये रसायन मिजाज को अच्छा करने में मदद करते हैं। विशेषकर आप इन दिनों घर में रहकर ही व्यायाम करें तो अच्छा है। इसके अलावा परिवार में भी ऐसी गतिविधियों या खेल से बचने की कोशिश करें, जिनमें गेंद और खेल के उपकरण एक हाथ से दूसरे हाथ में जाते हों। सन्तुलित और सम्पूर्ण आहार लें। इसमें उपयुक्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन व मिनरल्स का समावेश हो। जंक और फास्ट फूड को सीमित करें। बच्चों के खाने को रोचक और मजेदार बनाएं, उनका मिजाज अच्छा रहेगा।

बच्चे शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह की सुरक्षा के लिए माता-पिता पर भरोसा करते हैं। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि आप उनके लिए वहाँ हैं। उसे गले लगाएं और दिन में कई बार प्यार का अहसास दिलाएं। कहें—मैं तुमसे प्यार करता या करती हूँ। इस विकट परिस्थिति में बच्चे को अकेलापन महसूस न होने दें। कभी-कभी बच्चे गलत व्यवहार करते हैं, क्योंकि वे ऊब गए हैं। महामारी को लेकर उनके डर व सवालों का जवाब दें। उसकी भावनाओं को पहचाने व कद्र करें। उनसे कहें—हम देख सकते हैं कि तुम परेशान हो। तुम अभी अपने दोस्तों के साथ खेल नहीं सकते। हम घर में आनन्दपूर्वक खेल सकते हैं। आपकी ऐसी बातें बच्चों के लिए मरहम का काम करेंगी। आपका रुखा व्यवहार उनमें आक्रामकता को बढ़ा सकता है।

धूप आपके मिजाज को प्रसन्न करने में मदद कर सकती है। बच्चों व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ एक घंटे का समय खुले में बिताएं। जैसे छत, बालकनी या घर में बागीचा है तो वहाँ घूमें। विशेष रूप से सवेरे बालकनी में रोशनी में बिताएं। अपने और बच्चों के सोने का समय तय रखें। इससे आप पर्याप्त विश्राम कर सकेंगे। इन दिनों तनाव की वजह से नींद नहीं आ रही है तो अच्छी नींद के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं। बिस्तर पर जाने से पहले अच्छा संगीत सुनें, मनपसन्द साहित्य पढ़ें। सोने के वक्त फोन या टीवी का उपयोग न करें।

बाल मनोरोग और व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि इन विकट परिस्थितियों में बच्चों के मानसिक स्तर को सन्तुलित बनाए रखने के लिए बच्चों के साथ रचनात्मक खेल खेलें। उसे उन तरीकों की तस्वीरों को बनाने या इकट्ठा करने का सुझाव दें जिनसे आपका परिवार कोरोना से सुरक्षित है। एक कोलाज बनाएं और सभी को याद दिलाने के लिए इसे ऐसी जगह लगाएं जहाँ कई बार सब की नजर जाए। उन्हें याद दिलाए कि सामान्य स्वच्छता जैसे हाथ धोना, मास्क पहनना और घर में रहना परिवार को स्वस्थ रहने में मदद करेगा। उनकी ऊर्जा को उचित रूप में निर्देशित करें।

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