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चक्रवाती तूफान ‘बिपोरजॉय’ गंभीर चक्रवाती तूफान में हुआ तब्दील, मानसून की धीमी शुरुआत की संभावना

नई दिल्ली। इस साल अरब सागर में आया पहला चक्रवाती तूफान ‘बिपोरजॉय’ तेजी से गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है। इससे केरल में मानसून की ‘‘धीमी” शुरुआत होने और इसके दक्षिणी प्रायद्वीप के आगे ‘‘कमजोर” प्रगति करने का पूर्वानुमान है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बुधवार सुबह कहा कि केरल में दो दिन के भीतर मानसून शुरू होने के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। हालांकि, मौसम विज्ञानियों का कहना है कि चक्रवाती तूफान मानसून की तीव्रता को प्रभावित कर रहा है और केरल के ऊपर इसकी शुरुआत ‘हल्की’ रहेगी।

मौसम विभाग के अनुसार, इसके उत्तर की ओर बढ़ने और एक बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने के आसार हैं। इसके बाद अगले तीन दिन में यह उत्तर-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ेगा। हालांकि, आईएमडी ने अभी तक भारत, ओमान, ईरान और पाकिस्तान सहित अरब सागर से सटे देशों पर इसके किसी बड़े प्रभाव को लेकर कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया है।

मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसियों ने कहा कि तूफान पहले के आकलन को धता बताते हुए केवल 48 घंटे में एक चक्रवात से गंभीर चक्रवाती तूफान बनने की दिशा में बढ़ रहा है। पर्यावरण संबंधी स्थितियों से संकेत मिलता है कि 12 जून तक बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान का रुख रह सकता है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान तीव्र हो रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के कारण ये लंबे समय तक काफी सक्रिय बने रह सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की तीव्रता मानसून के बाद के मौसम में करीब 20 प्रतिशत और मानसून से पहले की अवधि में 40 प्रतिशत बढ़ी है। अध्ययन का शीर्षक है, ‘‘उत्तर हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बदलती स्थिति”।

अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की संख्या में 52 प्रतिशत वृद्धि हुई है, वहीं बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान 150 प्रतिशत बढ़े हैं। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान में जलवायु विज्ञानी रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, ‘‘अरब सागर में चक्रवाती गतिविधि बढ़ने का महासागरों के तापमान बढ़ने और वैश्विक तापमान वृद्धि के चलते नमी की बढ़ती उपलब्धता से गहरा संबंध है। अरब सागर ठंडा होता था, लेकिन अब यह गर्म है।”

दक्षिण पश्चिमी मानसून सामान्य तौर पर एक जून को केरल में आता है। इसमें करीब सात दिन कम या ज्यादा हो सकते हैं। आईएमडी ने मई के मध्य में कहा था कि मानसून चार जून तक केरल पहुंच सकता है। स्काईमेट ने पहले मानसून के सात जून को केरल में दस्तक देने का पूर्वानुमान लगाते हुए कहा था कि यह तीन दिन पहले या बाद में वहां पहुंच सकता है। पिछले करीब 150 साल में केरल में मानसून आने की तारीख में व्यापक बदलाव देखा गया है।

आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार 11 मई, 1918 को यह सामान्य तारीख से सबसे अधिक दिन पहले आया था और 18 जून, 1972 को इसमें सर्वाधिक देरी हुई थी। दक्षिण-पूर्वी मानसून ने पिछले साल 29 मई को, 2021 में तीन जून को, 2020 में एक जून को, 2019 में आठ जून को और 2018 में 29 मई को केरल में दस्तक दी थी।

अनुसंधान दिखाते हैं कि केरल में मानसून के देरी से आने से यह जरूरी नहीं है कि उत्तर पश्चिमी भारत में भी मानसून की आवक में देरी हो। हालांकि, केरल में मानसून की देर से दस्तक को दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मानसून आने में देरी से जोड़ा जा सकता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, केरल में मानसून में देरी का पूरे मौसम में देशभर में कुल वर्षा पर भी असर नहीं होता। आईएमडी ने पहले कहा था कि अल-नीनो की स्थिति विकसित होने के बावजूद दक्षिण-पश्चिमी मानसून के मौसम में भारत में सामान्य बारिश होने की संभावना है।

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