अपराधटॉप न्यूज़फीचर्डब्रेकिंगराष्ट्रीय

फर्जी खबरों पर नियंत्रण की व्यवस्था नहीं किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

फर्जी खबरों पर नियंत्रण की व्यवस्था नहीं किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात के मामले की मीडिया रिपोर्टिंग को झूठा और सांप्रदायिक बताने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार के जवाब पर नाराजगी जताई है।

चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये फर्जी खबरों पर नियंत्रण की कोई व्यवस्था सरकार नहीं बना सकती है तो कोर्ट को किसी दूसरी एजेंसी को यह जिम्मा सौंपना पड़ेगा।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर ये बताए केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट के तहत फर्जी खबरों को रोकने का क्या मेकानिज्म है और उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून के तहत सरकार के पास फर्जी खबरों पर कार्रवाई करने की पर्याप्त शक्ति है लेकिन वह मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करना चाहती है, इसलिए मीडिया के काम में बहुत दखल नहीं देती है।

तब चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने पूछा था कि केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट से ऐसे मामलों को कैसे रोका जा सकता है। आपने अब तक मिली शिकायतों पर क्या कार्रवाई की है। आपके जवाब में इन दोनों सवालों का कोई जवाब नहीं है।

अगर कानून के तहत कोई मेकानिज्म नहीं बनाया जा सकता है तो हमें किसी और एजेंसी को इसका जिम्मा सौंपना पड़ सकता है। तब मेहता ने कहा कि इसे लेकर वो विस्तृत हलफनामा दाखिल करेंगे। इसके बाद कोर्ट ने तीन हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी।

पिछले 8 अक्टूबर को कोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के निचले स्तर के अधिकारी की तरफ से हलफनामा दाखिल होने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सीनियर अधिकारी हलफनामा दाखिल करें।

कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार का आजकल सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट ने कहा था कि हलफनामा जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश लग रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव हलफनामा दाखिल करेंगे।

तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार बताए कि उस दौरान किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।

यह भी पढ़े: अमौसी एयरपोर्ट पर पकड़ी गई लाखों की विदेशी सिगरेट और ब्यूटी क्रीम – Dastak Times 

पिछले 7 अगस्त को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि ये मीडिया पर रोक यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।

तबलीगी जमात की रिपोर्टिंग पर रोक से समाज में घटित घटनाओं के बारे में आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार का उल्लंघन होगा। सुनवाई के दौरान नेशनल ब्राडकास्टर एसोसिएशन ने कहा था कि उसने तबलीगी जमात पर मीडिया रिपोर्टिंग की शिकायतों को लेकर नोटिस जारी किया है।

तब याचिकाकर्ता की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि नेशनल ब्राडकास्टर एसोसिएशन और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम आदेश पारित करेंगे।

तब दवे ने कहा था कि सरकार ने अब तक इस पर कुछ भी नहीं किया है। तब चीफ जस्टिस (सुप्रीम कोर्ट) ने कहा था कि जहां तक हमारा अनुभव है कि वे तब तक कुछ नहीं करेंगे जब तक हम निर्देश नहीं देंगे।

याचिका जमीयत उलेमा ए हिंद ने दायर की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। याचिका में ‘प्रेस की स्वतंत्रता’ की परिभाषा तय करने की मांग की गई है।

 देश दुनिया की ताजातरीन सच्ची और अच्छी खबरों को जानने के लिए बनें रहें www.dastaktimes.org  के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए  https://www.facebook.com/dastak.times.9 और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @TimesDastak पर क्लिक करें। साथ ही देश और प्रदेश की बड़ी और चुनिंदा खबरों के ‘न्यूज़-वीडियो’ आप देख सकते हैं हमारे youtube चैनल  https://www.youtube.com/c/DastakTimes/videos पर। तो फिर बने रहिये  www.dastaktimes.org के साथ और खुद को रखिये लेटेस्ट खबरों से अपडेटेड।   

Related Articles

Back to top button