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GST से बौराया-बौराया सा बाजार, पहले ही दिन ये रहा हाल

जीएसटी लागू होने का पहला दिन व्यापारियों ने गफलत में गुजार दिया। दरअसल, किसी को ये समझ ही नहीं आया कि नफा हुआ या नुकसान। सभी के चेहरे पर परेशानी नजर आई। बाजारों की हालत खस्ता रही। थोक बाजारों में बिक्री पूरी तरह ठप रही। किसी के पास बिल नहीं था तो किसी को एचएसएन कोड की जानकारी नहीं थी।
किराना, इलेक्ट्रानिक, बारदाना, तिरपाल, मारबल, दवा कारोबार में धंधा नहीं हो सका। पूरा दिन व्यापारी वस्तुओं में कोड डालने में लगे रहे। बिल बुक बनवाईं। दवाओं में 42000 से अधिक आइटम हैं जिनमें एचएसएन कोड डालना है। फुटकर व्यापार एमआरपी पर हुआ लेकिन कहीं बिल मिले कहीं नहीं।

कानपुर में नवीन मार्केट स्थित कपड़ों की दुकान अबु संस के प्रोपराइटर अबु हुरेजा ने बताया कि अभी पुराने रेट पर ही कपड़ों की बिक्री कर रहे हैं। जीएसटी नंबर तो मिल गया है लेकिन सॉफ्टवेयर में अभी फीड नहीं हो सका है। इसलिए बिलिंग भी टिन नंबर पर ही हो रही है। इंजीनियर से बात की है। उसने दो दिन में सॉफ्टवेयर में बदलाव करने को कहा है। इसके बाद ही बिल पर जीएसटी नंबर दर्ज होगा और कपड़ों की कीमतों में भी बदलाव।

नवीन मार्केट स्थित जूतों की दुकान बल्ली शूज में जहां कभी पांव रखने की जगह नहीं हुआ करती थी वहां सन्नाटा पसरा था। प्रोपराइटर कपिल कत्याल ने बताया कि शनिवार को शनिवार शाम चार बजे तक एक भी ग्राहक नहीं आया। अभी उन्होंने जीएसटी नंबर नहीं लिया है। अगर कोई ग्राहक आया तो टिन नंबर वाला ही बिल देंगे। एक-दो दिन में जीएसटी नंबर ले लेंगे। अभी वह असमंजस में हैं क्योकि उनके पास पुराना स्टाक है। इसमें जीएसटी किस तरह जुड़ेगा, यह पता नहीं है। इस बारे में वह और दुकानदारों से जानकारी ले रहे हैं।

रेलवे ऑनलाइन टिकट महंगा हुआ, एसी बसों में भी पांच फीसदी जीएसटी लगकर यात्रियों के टिकट काटे गए। डाक विभाग के पास प्रति डाक के हिसाब से कितना जीएसटी टैक्स लगेगा इसकी सूची भी नहीं आ पाई थी। बिजली का बिल जीएसटी से मुक्त रहा।

कैंट क्षेत्र में कामर्शियल वाहनों के प्रवेश पर लगने वाला टैक्स पूरी तरह से खत्म कर दिया गया। रोजाना बाहरी वाहनों से टैक्स के रूप में 40 हजार रुपये की वसूली होती था। शनिवार को किसी भी वाहन पर टैक्स नहीं लगा। बाजारों में पहले दिन कामकाज सामान्य नहीं रहा। जो भी ग्राहक आए वे भी जीएसटी को लेकर कारोबारियों से उलझे रहे। कई जगहों पर तो ग्राहकों ने यहां तक सौदेबाजी की है कि जीएसटी कल से लगा लेना आज पुराने वाले रेट पर दे दो।

ऐसी स्थिति में व्यापारी और खरीदार दोनों भारी असमंजस में रहे। कई जगहों का हाल ऐसा रहा जहां ग्राहक दुकान पर होने के बाद भी सामान बेचने से व्यापारी हिचके और बिक्री का लेखा जोखा कैसे तैयार करना है, इस पचड़े को सुलझाने में जुटे रहे। अभी न तो व्यापारी ये समझ पा रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद उसे क्या नफा और नुकसान है और न ही जनता को इसके फायदे समझ आ रहे हैं। 

शनिवार को कानपुर शहर के कुछ व्यापारियों से देश में लागू हुई जीएसटी के बारे में उनकी राय जानी गई। रेडीमेड वस्त्र विक्रेता, गल्ला व्यापारी और ज्वैलर्स का एक सा जवाब रहा कि अभी तो लाभ-हानि समझने को गुणा भाग लगा रहे हैं। 

दुकानदारों का दुखड़ा

अभी पुराना ही बिल
नवीन मार्केट स्थित कपड़ों की दुकान अबु संस के प्रोपराइटर अबु हुरेजा ने बताया कि अभी पुराने रेट पर ही कपड़ों की बिक्री कर रहे हैं। जीएसटी नंबर तो मिल गया है लेकिन सॉफ्टवेयर में अभी फीड नहीं हो सका है। इसलिए बिलिंग भी टिन नंबर पर ही हो रही है। इंजीनियर से बात की है। उसने दो दिन में सॉफ्टवेयर में बदलाव करने को कहा है। इसके बाद ही बिल पर जीएसटी नंबर दर्ज होगा। वहीं, खरीदारी को आईं हिना का कहना था कि यहां पहले के रेट पर ही कपड़े मिल रहे हैं। बिल से कोई फर्क नहीं पड़ता। फिर चाहे उसमें जीएसटी लिखा हो या नहीं।

एक भी ग्राहक नहीं आया
नवीन मार्केट स्थित जूतों की दुकान बल्ली शूज में सन्नाटा था। प्रोपराइटर कपिल कत्याल ने बताया कि शनिवार  शाम चार बजे तक एक भी ग्राहक नहीं आया। अभी उन्होंने जीएसटी नंबर नहीं लिया है। अगर कोई ग्राहक आया तो टिन नंबर वाला ही बिल देंगे। एक-दो दिन में जीएसटी नंबर ले लेंगे। अभी वह असमंजस में हैं। दरअसल, उनके पास पुराना स्टाक है। इसमें जीएसटी किस तरह जुड़ेगा, यह पता नहीं है। वह और दुकानदारों से जानकारी कर रहे हैं।

जीएसटी को लेकर गृहणियों की राय

जीएसटी को लेकर गृहणियों की राय है कि इससे घर का बजट काफी प्रभावित होगा। कुछ सामान पर 28 फीसदी टैक्स लगाए जाने को लेकर भी महिलाओं का विरोध है। वहीं ब्रांडेड कपड़ों और छोटी गाड़ियों पर टैक्स बढ़ने से भी महिलाएं नाराज हैं। महिलाओं का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें नए सिरे से घर का बजट बनाना होगा।

रेल यात्रा महंगी, भाड़ा बुकिंग के भी देने होंगे ज्यादा रुपये

एसी बोगी में यात्रा करना भी हो गया महंगा
ट्रेन की एसी बोगियों में सफर करने वाले यात्रियों को भी ज्यादा किराया देना होगा। अभी तक रेलवे एसी टिकट पर 4.5 प्रतिशत सर्विस टैक्स लेता था। अब इसे बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। सेंट्रल के रेलवे आरक्षण केंद्र पर नौघड़ा के राजू गुप्ता ने एसी सेकेंड क्लास का टिकट 1035 रुपये में कराते थे। अब उन्हें इसके लिए 1045 रुपये देना पड़ रहा है। खास बात यह है कि अगर किसी ने चार महीने पहले टिकट बुक कराया है और एक जुलाई के बाद उसे यात्रा करनी है तो टीटीई उससे बढ़ा हुआ जीएसटी ट्रेन में वसूलेगा। 

ऑनलाइन रेल टिकट कराना हुआ महंगा
जीएसटी लागू होने से ऑनलाइन रेल टिकट कराना महंगा हो गया है। अभी एटीएम और क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स देना होता था। जीएसटी में इसे बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। अगर टूर एंड ट्रैवल्स एजेंट से टिकट कन्फर्म कराया तो एजेंट को अतिरिक्त चार्ज भी देना पड़ेगा। 

पार्सल बुकिंग करने के देने होंगे ज्यादा पैसे
रेलवे स्टेशन पर माल भाड़ा बुक कराने से लेकर यात्रियों का सामान रखने के लिए लगने वाला किराया भी बढ़ गया। इसमें भी सर्विस टैक्स 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। जो यात्री अपना बैग सेंट्रल पर सुरक्षित रखवाते हैं, उसका किराया भी बढ़ गया। प्लेटफार्म नंबर एक के हॉल में यात्रियों का बैग और सामान रखवाने के लिए पार्सल घर बना है। इसके लिए यात्रियों से 24 घंटे के 16 रुपये लिए जाते हैं। अगर 24 घंटे से ज्यादा हो गए तो अगले हर 24 घंटे के लिए एक बैग का 21 रुपये किराया लिया जाता है। अब इसमें आधा प्रतिशत जीएसटी बढ़ा है। मसलन किसी का किराया 30 रुपये हुआ तो उसे 32 रुपये देने होंगे।

आईआरसीटीसी के खाने पीने पर फर्क नहीं
आईआरसीटीसी की ओर से रेलवे स्टेशन पर मिलने वाले खाने के रेट में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके दाम में कम ज्यादा रेलवे बोर्ड के निर्देश के बाद ही होगा। मसलन अगर खाना 15 रुपये में मिलता था तो अब भी उतने में ही मिलेगा। आईआरसीटीसी के फिक्स रेट पर जीएसटी का असर नहीं है। आईआरसीटीसी के मेन्यू के अलावा अन्य खान पान की सामग्री पर जीएसटी दरें लागू होंगी। मसलन एसी कैंटीन में 18 प्रतिशत औन नॉन एसी कैंटीन में 12 प्रतिशत जीएसटी यात्रियों को देना होगा।

सॉफ्टवेयर बना नहीं तो मैनुअल बिल
सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक की आरके कैंटीन में पहले दिन नई दरों की जीएसटी का सॉफ्टवेयर तैयार न होने से उपभोक्ताओं को मैनुअल बिल दिए गए। बिल में कैंटीन की मुहर लगी थी। यात्री बैग जमा कराने वाले पार्सल घर में भी अभी मैनुअल काम हो रहा है।

सैंट्रल यूपी के अन्य जिलों का भी एक सा रहा हाल

इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, औरैया, बांदा, जालौन, हमीरपुर, महोबा, उन्नाव, कानपुर, कानपुर देहात लगभग पूरे उत्तर प्रदेश में एस सा हाल रहा सभी जगह व्यापारी और ग्राहक दोनों परेशान दिखे। 

जीएसटी लागू होने के पहले दिन सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय फतेहगढ़ का कैश काउंटर बंद रहा। इस कारण लाइसेंस की फीस, वाहनों का टैक्स व अन्य राजस्व जमा नहीं हो सका। कैश काउंटर पर कर्मचारियों के न बैठने व स्पष्ट जानकारी न मिलने के कारण उपभोक्ताओं को इधर उधर भटकना पड़ा। वहीं उन्नाव में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद शनिवार को सभी छोटे-बड़े व्यापारियों नई कर व्यवस्था को लेकर ऊहापोह की स्थिति दिखी। कुछ व्यापारी कदम को अच्छा बताते दिखे तो कुछ शोषण का नया फंडा बता रहे हैं। 

उधर महोबा में वस्तु एवं सेवा कर के विरोध में व्यापारियों ने बैठक कर विरोध का ऐलान कर दिया है। जटिल प्रक्रिया और व्यापारियों के उत्पीड़न विरोधी कानून बताते हुए एकजुट हुए व्यापारियों ने बाजार बंद कर सड़कों में उतरने का फैसला लिया है।

कन्नौज में केंद्र सरकार का ऐतिहासिक कर निर्धारण का फैसला शहर के व्यापारियों से लेकर आम आदमी के बीच चर्चा का विषय बना रहा। जीएसटी पर व्यापारी व खरीदार अपना तर्क समझाते नजर आए लेकिन पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं मिली।  

औरैया के  बाजारों में भी सन्नाटा जरूर दिखा लेकिन कुछ इसके पीछे जीएसटी को कारण मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि महीने की पहली तारीख होने व अभी ईद का त्योहार बीतने का भी असर है।

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