नई दिल्ली : कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि नीट घोटाले की स्वतंत्र फॉरेंसिक जांच की जाए । उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इस वर्ष नीट में 600 अंक पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या 80,468 है, जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में केवल 55,000 सीटें हैं। ऐसे में ये छात्र सरकारी कॉलेजों में कैसे दाखिला पा सकते हैं।
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार और शिक्षा मंत्री को नीट घोटाले में सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में स्वतंत्र फॉरेंसिक जांच का आदेश देना चाहिए। इस विषय पर पीएम मोदी अपना वक्तव्य दें। 24 लाख उम्मीदवार मेडिकल की 1 लाख सीटों के लिए बैठते हैं। 55,000 सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों की हैं। इसका मतलब है कि एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस छात्र रियायती शुल्क पर ज्यादातर इन कॉलेज का चुनाव करते हैं। जब मार्क्स बनाम रैंक बढ़ाए गए हैं, तो गरीब परिवारों के उम्मीदवार क्या करेंगे? जिन लोगों ने 550 अंक प्राप्त किए हैं, उनकी संख्या 2024 में 1.4 लाख से अधिक है।
कांग्रेस का कहना है कि अगर मोदी सरकार का दावा है कि पूरी परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी है, तो पिछले और इस साल 580 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों का पूरा परिणाम सार्वजनिक किया जाना चाहिए। 580 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों के केंद्रों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि पता चल सके कि कितने छात्र अपने स्थान से दूर नीट देने आए थे।
कांग्रेस ने कहा है कि कई छात्र ऐसे थे, जिन्हें 12वीं पास करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। लेकिन, नीट में वह बेहतरीन अंक लाए हैं। इसी के चलते 12 वीं बोर्ड के अंकों को नीट के अंकों के साथ सह-संबंधित किया जाना चाहिए। अगर डेटा बताता है कि हजारों छात्रों ने बोर्ड परीक्षा में कम और नीट में बहुत अधिक अंक प्राप्त किए हैं, तो पेपर लीक के आरोप सही हैं। जिन केंद्रों पर बड़े हाई स्कोरर हैं, उनके वीडियो जारी किए जाने चाहिए। इससे घोटाले की पहचान हो सकेगी। पता लगेगा कि परीक्षा के बाद या एनटीए ऑफिस में ओएमआर भरा गया था या कोई प्रतिरूपण हुआ था। सवाई माधोपुर (राजस्थान) केंद्र पर दिया गया पेपर वही था या अलग, क्योंकि छात्र पेपर लेकर चले गए। फिर, शाम 6.30 बजे दोबारा परीक्षा हुई और अगर पेपर वही था और माध्यम बदला गया था, तो पेपर निश्चित रूप से लीक हुआ है।
कांग्रेस ने सरकार से 6 सवाल पूछे हैं। कांग्रेस ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि नीट यूजी 2024 पेपर लीक की जांच कर रही पटना पुलिस ने पाया है कि परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों ने रैकेट में शामिल ‘दलालों’ को 30 से 50 लाख रुपए तक की बड़ी रकम का भुगतान किया। 60 करोड़ रुपए के लेन-देन की खबरें भी आई हैं। क्या शिक्षा मंत्री इस तथ्य से इनकार कर सकते हैं कि नीट पेपर लीक में बिहार में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है? क्या शिक्षा मंत्री इस बात से इनकार कर सकते हैं कि गुजरात के गोधरा में नीट यूजी में धोखाधड़ी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है? इसमें कोचिंग सेंटर चलाने वाले एक व्यक्ति, एक शिक्षक और एक अन्य व्यक्ति समेत तीन लोग शामिल हैं। मामले की जांच में छात्रों, उनके अभिभावकों और आरोपियों के बीच 12 करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन सामने आया है।
पवन खेड़ा ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि इस साल यानी 2024 में 67 टॉपर हैं, जिन्हें 720 का परफेक्ट स्कोर दिया गया। यह संख्या 2023 में सिर्फ 2 थी। 2022 में कोई भी अभ्यर्थी पूरे अंक हासिल नहीं कर सका। बहादुरगढ़ के एक ही सेंटर से 6 छात्रों ने अधिकतम अंक हासिल किए। एनटीए ने उम्मीदवारों को ग्रेस अंक देने की इस प्रक्रिया को क्यों अपनाया? यही नहीं, क्या यह सच नहीं है कि इस साल 690 से अधिक अंक पाने वाले छात्रों की संख्या में असामान्य वृद्धि देखी गई? नीट के परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून को दस दिन पहले क्यों जारी किए गए?