सेहतमंद और फिट रहने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है। कोरोना काल में बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद की तरफ रुख किया है। इस दौरान गिलोय का भी उपयोग काफी बढ़ गया है। तुलसी, अदरक, आंवला से लेकर हल्दी और गिलोय तक, सभी देसी नुस्खे जो कभी-कभार खाए जाते थे लेकिन महामारी के दौर में हर किसी की दिनचर्या बन गए हैं।
यहाँ तक के डॉक्टर भी मरीज़ो को गिलोय का काढ़ा पीने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट ने इस पर विवाद खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट का दावा है कि कोरोना के दौरान गिलोय का सेवन करने से कई लोगों के लीवर खराब हो गए हैं। इस पूरे मामले पर अब आयुष मंत्रालय ने सफाई देते हुए रिपोर्ट को भ्रामक बताया है।
आयुष मंत्रालय ने जो प्रेस रिलीज जारी किया है, उसमें लिखा है ‘आयुष मंत्रालय ने जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के आधार पर एक मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान दिया है, जो कि लिवर के अध्ययन के लिए इंडियन नेशनल एसोसिएशन की एक सहकर्मी की समीक्षा की गई पत्रिका है। इस अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि आमतौर पर गिलोय या गुडुची के रूप में जानी जाने वाली जड़ी बूटी टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (टीसी) के उपयोग से मुंबई में छह मरीजों में लिवर फेलियर का मामला देखने को मिला।’
‘मंत्रालय को लगता है कि अध्ययन के लेखक मामलों के सभी आवश्यक विवरणों को व्यवस्थित प्रारूप में रखने में विफल रहे। इसके अलावा, गिलोय को लिवर की क्षति से जोड़ना भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के लिए भ्रामक और विनाशकारी होगा, क्योंकि आयुर्वेद में जड़ी-बूटी गुडुची या गिलोय का उपयोग लंबे समय से किया जा रहा है। विभिन्न विकारों के प्रबंधन में गिलोय की प्रभावकारिता अच्छी तरह से स्थापित है।’
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, ‘अध्ययन का विश्लेषण करने के बाद, यह भी देखा गया कि अध्ययन के लेखकों ने जड़ी-बूटी की सामग्री का विश्लेषण नहीं किया है जिसका रोगियों द्वारा सेवन किया गया था। यह सुनिश्चित करना लेखकों की जिम्मेदारी बन जाती है कि रोगियों द्वारा उपभोग की जाने वाली जड़ी-बूटी गिलोय है न कि कोई अन्य जड़ी-बूटी। वास्तव में, ऐसे कई अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि जड़ी-बूटी की सही पहचान न करने से गलत परिणाम हो सकते हैं। एक समान दिखने वाली जड़ी-बूटी टिनोस्पोरो क्रिस्पा का लिवर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।’
साथ ही बता दे इससे पहले गिलोय से लिवर डैमेज होने वाली रिपोर्ट्स को पतंजलि ने खारिज किया था। योग गुरू बाबा रामदेव के सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण का कहना है कि आयुर्वेद में गिलोय का परंपरागत प्रयोग कई समस्याओं में होता है और इनमें लिवर रोग भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा था कि जिन 6 मरीजों के लिवर डैमेज हुए वे पहले से ही कई बीमारियों से ग्रसित और दूसरी एलोपैथिक दवाएं ले रहे थे। इसलिए इस सीमित शोध के परिणामों को गिलोय के उपयोग से बिल्कुल जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।