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मलमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता, जानिए कारण

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के मुताबिक सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है और चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है. दोनो सालो में लगभग 11 दिनों का अंतर होता है. यह अंतर हर तीसरे साल में लगभग 1 महीने के बराबर हो जाता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीसरे साल मलमास या अधिक मास लगता है. इतना ही नहीं मलमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है.

धार्मिक मान्यता के मुताबिक अधिक मास के अधिपति भगवान विष्णु है और पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है. भगवान विष्णु ने ही राम के रूप में राक्षसों का नाश करने के लिए धरती पर जन्म लिया था. इतना ही नही भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम कहा जाता है. मलमास अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु को समर्पित होता है. शायद यही वजह है कि इस मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक पुराणों में इसको लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक मलमास होने के कारण कोई भी इस माह का स्वामी नहीं बन रहा था. तब भगवान विष्णु से समस्त देवी देवताओं ने अपने उद्धार के लिए प्रार्थना की. प्रार्थना करने से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने अपना श्रेष्ठ नाम पुरुषोत्तम प्रदान किया. इसके अलावा भगवान विष्णु ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी इस माह में कथा मनन भगवान शंकर की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना और धार्मिक अनुष्ठान करेगा वह अच्छे पुण्य की का फल पाएगा .

पुरुषोत्तम मास का माह पूजा-पाठ और श्रीमद् भागवत कथा के लिए सबसे पवित्र माना जाता है. पुरुषोत्तम मास का मां भगवान श्री हरि जगतपति विष्णु की भक्ति की जाती है. उनकी उपासना की जाती है. अगर जातक विधि विधान पूर्वक भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करता है तो उनको कई गुना फल की प्राप्ति होती है. पुरुषोत्तम कामा सबसे पवित्र महीना माना जाता है.

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