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एंटीमलेरियल ड्रग टारगेट के रूप में मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीन उपयोगी: प्रोफेसर किर्क

प्रो. कियारन किर्क

लखनऊ: सीटीडीडीआर-2019 के दूसरे दिन का पहला सत्र “मलेरिया के लिए टार्गेटेड ड्रग डिस्कवरी और डिज़ाइन” के प्रति समर्पित था. ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी,कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया के प्रो. कियारन किर्क ने अपने ताज़ा अनुसन्धानों पर चर्चा की और कहा कि मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीन, एंटीमरेलियल दवा के टार्गेट के रूप में उपयोगी हैं. उन्होंने आगे बताया कि कैसे फीनोटाइपिक स्क्रीन में मेम्ब्रेन ट्रांसपोर्ट प्रोटीनको एंटीमैरलियल्स टारगेट्स के तौर पर पहचाना जा सकता है. ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी कॉलेजऑफ मेडिसिन, फिलाडेल्फिया, अमेरिका के डॉ. अखिल वैद्य ने नई एंटीमलेरियल दवाओं के द्वारा सोडियम आयन (Na+)और लिपिड होमियोस्टैसिस (संतुलन) को भंग करने के परिणामों पर कहा कि मलेरिया परजीवी में सोडियम आयन संतुलनको भंग करने वाले कई यौगिकों में, परजीवियों के ब्लड स्टेज पर ही सफाया करने की क्षमता है जिसका औषधि अनुसंधान में उपयोग किया जा सकता है.

सीटीडीडीआर-2019 दूसरा दिन: मलेरिया, लीशमैनिया, मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस एवं ड्रग डिस्कवरी के लिए प्राकृतिक रसायन उत्पादों पर हुई चर्चा 

डॉ. अखिल वैद्य

मेडिसिन फॉर मलेरिया वेंचर (एमएमवी), जिनेवा, स्विट्जरलैंडके ड्रग डिस्कवरी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. जेरेमी एन. बुरुज़ ने बताया कि मलेरिया पीड़ित देशों में मलेरिया के बोझ को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के सहयोगसे नई, प्रभावी और सस्ती एंटीमलेरियल दवाओं के अनुसंधान एवं विकास द्वारा मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए दवा की खोजएवं वितरण पर काम किया जा रहा है.

विसरल लिश्मेनियासिस में सस्ती, कम अवधि की दवाओं की तत्काल आवश्यकता : डॉ थॉमसन

दूसरा सत्र,”लीशमैनिया थेरेप्यूटिक्स की समस्याएंतथा नए दृष्टिकोणो” को समर्पित था. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड,न्यूजीलैंड के डॉ. एंड्रयू एम. थॉम्पसन ने कहा कि वर्तमान में वीएल के लिए कुछ उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, परंतु उनमें से अधिकांश में विभिन्न कमियों भी हैं, जिन्हें दूर करने के लिए विसरल लिश्मेनियासिस (वीएल)के उपचार हेतु अधिक सुरक्षित और प्रभावकारिता के साथ सस्ती, कम अवधि तक चलने वाली (शॉर्ट-कोर्स) तथा मुख से ली जाने वाली दवाओं की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने विसरल लिश्मेनियासिसके लिए एक नई नैदानिक ​​प्रत्याशी दवा DNDI-0690के बारे में अपनी नवीनतम जानकारी साझा की और कहा कि  14 दिनों के चूहे के विषाक्तता अध्ययन में इस नई प्रत्याशी दवा (DNDI-0690) का आकलन किया जा चुका है, और अब इसे एडवांस डेवलपमेंट के लिए चुना गया हैजिसके सफल होने पर यह बाजार में आ जाएगी.

एमटीबी संक्रामक बीमारी से मौत का सबसे बड़ा कारण: प्रोफेसर रसेल

तीसरा सत्र “बैक्टीरियल संक्रमणों में मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस(बहु-दवा प्रतिरोध) का मुकाबला” पर आधारित था. कॉर्नेल विश्वविद्यालय, यूएसए के प्रो. डेविड जी. रसेल ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के उपचार के लिए अत्याधुनिक होस्ट-डिपेंडेंट एंटी-बैक्टीरियल्स की पहचान के विषय में चर्चा की. उन्होंने कहा कि वर्तमान में एमटीबी,संक्रामक बीमारी से मौत का सबसे बड़ा एकल कारण है. हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि रोग-प्रतिरोधक क्षमता, बैक्टीरिया की वृद्धि के पोषण संबंधी प्रतिबंधइत्यादि रोग की प्रगति को सीमित करनेहेतु महत्वपूर्ण साधन हो सकते हैं जो संक्रमण के चिकित्सीय नियंत्रण के लिए एक नया दृष्टिकोणभी प्रदान करते हैं.
सीडीआरआई, लखनऊ के डॉ. अमित मिश्रा ने “पल्मोनरी टीबी के लिए इन्हेल्ड ड्रग्स” के बारे में कहा कि अगर तपेदिक (टीबी) मुख्य रूप से फेफड़ों का एक रोग है, तो फेफड़ों की टीबी के रोगियों को मिख से निगलने के बजायस्वांस से लेने वाली (इन्हेलेबल) दवाओं का सेवन करना चाहिए. उन्होने प्रतिभागियों को दवा संवेदनशील (डीएस) और दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) टीबी दोनों के लिए सूखे पाउडर आधारित इनहेलेबल दवा संयोजनों (ड्रग कोंबिनेशन्स) के विकास के बारे किए जा रहे उनके शोध कार्यों से अवगत कराया. चौथा सत्र ड्रग डिस्कवरी के लिए प्राकृतिक रसायनिक उत्पादों को समर्पित था.

एबरडीन यूनिवर्सिटी, यूके के प्रोफेसर मार्सेल जास्पर ने कहा कि गहरे या ठंडे महासागरों और शुष्क वातावरण जैसे चरम वातावरण अद्वितीय माइक्रोबियल जैव विविधता को जन्म देते हैंजिनके गोहन से नयी दवाओं की खोज में मदद मिल सकती है.  लैसो पेप्टाइड्स जैसे अद्वितीय बायोएक्टिव प्राकृतिक उत्पादों का निर्माण, अटाकामा रेगिस्तान जो कि पृथ्वी पर सबसे शुष्क स्थान है,वहाँ से किया गया है.

पंडित विश्व मोहन भट्ट द्वारा संगीतमय संगीत कार्यक्रम

शाम को पद्म भूषण, और ग्रैमी पुरस्कार विजेता पंडित विश्व मोहन भट्ट और उनकी टीम द्वारा प्रतिभागियों, खासतौर से विदेशों से आए प्रतिभागियों के लिए पं. भट्ट द्वारा संगीत में किए गए उनके अनुसंधान को जानने के लिए एक संगीतमय कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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