उत्तराखंडराज्य

सहस्त्रताल ट्रैक पर गए बाइस सदस्यीय दल में से चार ट्रैकर्स की ठंड लगने के कारण मौत

देहरादून : सहस्‍त्रताल ट्रैक में फंसे ट्रकरों को रेस्‍क्‍यू करने के लिए एसडीआरएफ और उत्‍तराखंड पुलिस की दो टीमें रवाना हुई हैं। इसमें एक टीम को बैकअप के लिए रखा गया है। यह ट्रैक टिहरी और उत्‍तरकाशी जिले के बीच है। यहां 22 सदस्‍यीय ट्रैकिंग दल गया था जो खराब मौसम के बीच रास्‍ता भटक गया था। इसके चार सदस्‍यों की मौत हो गई, दूसरे ट्रैकरों की भी हालत खराब बताई गई।

टिहरी और उत्तरकाशी जिले की सीमा पर स्थित सहस्त्रताल ट्रैकिंग पर गए 22 सदस्यीय दल में से 4 की ठंड लगने के कारण मौत हो गई है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में अभी भी कर्नाटक और महाराष्ट्र के 18 ट्रैक्टर फंसे हुए हैं। इनमें से सात सदस्यों की हालत गंभीर बनी हुई है। इन फंसे हुए ट्रैकर्स को रेस्क्यू करने के लिए एसडीआरएफ और आपदा विभाग की टीम रेस्क्यू अभियान चलाने जा रही है।

सहस्रताल ट्रैक लगभग 14500 फीट की ऊंचाई पर है। 29 मई को एक 22 सदस्यीय दल रवाना हुआ था। इस 22 सदस्यीय दल में कर्नाटक के 18, महाराष्ट्र का 1 और 3 स्थानीय गाइड शामिल थे। ये लोग मल्ला-सिल्ला से कुश कुल्याण बुग्याल होते हुए सहस्त्रताल की ट्रैकिंग के लिए गयए थे। 2 जून को यह दल सहस्त्रताल की कोखली टॉप बेस कैंप पर पहुंच गया था।

इस ट्रैकिंग दल को 7 जून तक वापस लौटना था। ट्रेकिंग के दौरान अचानक मौसम खराब होने के कारण घने कोहरे और बर्फबारी के बीच यह दल फंस गया। वहां पर समुचित व्यवस्था न होने के कारण ट्रैकर्स को पूरी रात ठंड में बितानी पड़ी। इस कारण ठंड लगने से चार ट्रैक्टर्स की मौत हो गई। ट्रैक पर गए दल को ले जाने वाली ट्रैकिंग एजेंसी के मालिक ने अपने संगठन के पदाधिकारी को ट्रैकर्स की मौत के बारे में सूचना दी। साथ यह भी बताया कि 18 ट्रैक्टर्स अभी भी उच्च हिमालयी क्षेत्र में फंसे हुए हैं। इनमें से सात ट्रैक्टर्स की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

यह सूचना मिलने पर ट्रैकिंग असोसिएशन ने जिला आपदा प्रबंधन विभाग को इस हादसे के बारे में बताया और ट्रैक से सभी सदस्यों को सुरक्षित निकालने की मांग की। जिला प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल के अनुसार ट्रैकिंग असोसिएशन के माध्यम से सहस्रताल ट्रैक पर चार ट्रैक्टर्स की मौत की सूचना मिली है। साथ ही यह भी पता चला है कि अन्य ट्रैक्टर्स भी वहां पर फंसे हुए हैं। जिनमें से कुछ की तबीयत भी खराब है। उनकी मदद के लिए व्यवस्थाएं जुटाई जा रही हैं।

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