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आम आदमी की पहुंच से बाहर हुआ राष्ट्रपति चुनाव, जानें अब कौन बन सकता है प्रस्तावक

नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के लिए आम व्यक्ति भी नामांकन भरता था, लेकिन अब यह चुनाव आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। इस पद पर खड़े होने के लिए अब 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक चाहिए और वे भी निर्वाचन मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज- सांसद और विधायक) के सदस्य होने आवश्यक हैं।
प्रस्तावक और समर्थक भी वही एक ही भूमिका में रह सकते हैं यानी प्रस्तावक समर्थक नहीं बन सकते न ही समर्थक प्रस्तावक बन सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए सुरक्षा राशि 15000 रुपये है, पहले यह पांच हजार रुपये थी।

निवार्चन आयोग ने प्रस्तावकों और समर्थकों की संख्या की यह शर्त लगाई ही इसलिए है कि गैर गंभीर व्यक्ति इस प्रतिष्ठित पद पर नामांकन भर कर भीड़ न लगाएं। क्योंकि 15 हजार रुपये की सुरक्षा राशि लोगों को हतोत्साहित नहीं कर पा रही थी। कई बार चुनाव में ऐसा भी हुआ है कि 15-20 उम्मीदवार मैदान में रहे लेकिन उन्हें एक भी वोट नहीं मिला। कुछ धरतीपकड़ किस्म के लोग भी हर बार चुनाव में ताल ठोक देते थे।

प्रस्तावक और समर्थक जुटाने की शर्त से ऐसे लोगों पर लगाम लगी है। लेकिन लोगों ने इसका तोड़ निकाल लिया है और अब वे बिना प्रस्तावक और समर्थकों के नाम लिए नामांकन भर देते हैं जो आवश्यक तौर पर खारिज हो जाता है। इस दौरान वे थोड़ा बहुत प्रचार पा जाते हैं। 2017 के चुनाव में 95 उम्मीदवार मैदान में थे जिन्होंने 108 नामांकन भरे थे। एक उम्मीदवार चार नामांकन पत्र भर सकता है, लेकिन स्क्रूटनी के बाद मैदान में दो नाम ही रह गए थे एक रामनाथ कोविंद और दूसरी मीरा कुमार। शेष सभी नामांकन खारिज कर दिए गए थे।

एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद 661278 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस समर्थित मीरा कुमार को सिर्फ 434241 मत प्राप्त हुए थे। इस बार चुनाव में निर्वाचक मंडल के 4809 मतदाता हैं। देश के इतिहास में एक ही मौका ऐसा आया है जिसमें राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं करवाना पड़ा। 1977 में नीलम संजीव रेड्डी बिना विरोध के निर्वाचित हो गए थे।

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