ज्ञान भंडार

8 मई शुरू होगी संकष्टी चतुर्थी, पूजा विधि से लेकर धार्मिक मान्यता

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के मुताबिक साल के 12 महीने के प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी का पर्व पड़ता है. जिसमें कृष्ण पक्ष पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक चतुर्थी तिथि वैसे भगवान गणपति बप्पा को समर्पित है. लेकिन आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे संकष्टी चतुर्थी के बारे में.

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा आराधना करनी चाहिए . इस दिन व्रत रखने से विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने से भगवान गणेश ज्ञान और ईश्वर की प्राप्ति करते हैं. सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है. ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 8 मई को 6:18 से हो रहा. जिस का समापन 9 मई को शाम 4:08 पर होगा इस दिन चंद्रोदय के बाद पूजा करने का विधान है. इस वजह से संकष्टी चतुर्थी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा.

संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए भगवान गणेश की प्रतिमा के साथ व्रत का संकल्प लेना चाहिए .साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए पूजा वाले स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. भगवान गणेश को वस्त्र पहनना चाहिए दीप प्रज्वलित करना चाहिए. इसके साथ ही भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू भोग लगाना चाहिए. उसके बाद आरती करनी चाहिए. फिर भगवान गणेश से प्रार्थना करनी चाहिए . ऐसा करने से विघ्नहर्ता गणपति बप्पा सारी मनोकामना अपने भक्तों की पूरी करते हैं .

इन मंत्रों का करें जप
गजाननं भूत गणादि सेवितंगजाननं भूतगणादि सेवितं,कपित्थजम्बूफलसार भक्षितम्उ
मासुतं शोकविनाशकारणं,नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम
गजाननं भूतगणादि सेवितं,कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्उ
मासुतं शोकविनाशकारकं,नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम

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