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खेल के साथ मैदान से बाहर भी खासे विवादित रहे है सुशील

स्पोर्ट्स डेस्क : भारत को ओलंपिक में दो बार पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार का विवादों से पुराना नाता है. सुशील कुमार ने जितने मैडल जीते हैं, उसके साथ विवाद भी है.

लंदन और बीजिंग ओलंपिक में भारत के लिए रजत व कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान सुशील के साथ पहला विवाद साल 2016 में रहा जब पहलवान नरसिंह पंचम यादव ने आरोप लगाया था कि सुशील ने उनके खाने में कुछ मिला दिया था. जिसके चलते वो डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गये.

इससे पहले भारतीय कुश्ती महासंघ ने नरसिंह पंचम यादव को रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना था. महासंघ के इस फैसले के खिलाफ सुशील कुमार ने नरसिंह के सिलेक्शन के खिलाफ ट्रायल बाउट के आयोजन की मांग की जब महासंघ ने उसकी बात नहीं मानी तो सुशील ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने सुशील की मांग को ठुकराते हुए महासंघ के फैसले को सही बताया.

कोर्ट के इस फैसले के कुछ दिनों बाद नरसिंह पंचम यादव डोप टेस्ट में फेल हुए. नरसिंह यादव ने सुशील कुमार पर उनके खाने में कुछ घोलने का आरोप लगाया. जिसके बाद पूरे मामले की जांच सीबीआई को दी गई थी. सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करके दिसंबर 2019 को कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. कोर्ट ने साल 2020 के शुरू में इस रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाते हुए मामले को खत्म कर दिया था.

पहलवान सुशील कुमार साल 2017 में राष्ट्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त हुए थे जिस पर खासा बवाल हुआ था. पहलवान नरसिंह यादव ने खेल मंत्रालय को लेटर लिखकर सुशील कुमार पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था. उन्होंने सुशील कुमार की राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में हुई नियुक्ति पर भी आपत्ति व्यक्त की थी.

नरसिंह ने ये भी सवाल किया कि तोड़फोड़ के आरोपों के बावजूद पहलवान सुशील कुमार को रियो ओलंपिक से पहले पर्यवेक्षक क्यों नियुक्त किया गया. सुशील के चलते नरसिंह यादव को डोपिंग विवाद में 4 वर्ष का प्रतिबंध झेलना पड़ा था.

सुशील कुमार को नेशनल विजेता बनाने के लिए तीन बार गोल्ड मैडल जीतने से पहले वॉक ओवर दिया गया था. वो बिना कोई बाउट लड़े तीन बार गोल्ड मैडल जीते थे. कहा जता है कि ये जीत प्रदर्शन के आधार पर नहीं बल्कि सुनियोजित तरीके से सुनिश्चित करवाई गयी थी.

साल 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल के दौरान जब सुशील कुमार ने फाइनल में प्रवीण राणा को मात दी थी. तब राणा ने भी ये आरोप लगाया था कि सुशील के समर्थकों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. साथ ही उन्हें आगामी प्रो रेसलिंग लीग में हिस्सा लेने पर भी बोले थे. इसके अलावा सुशील कुमार का पहलवान योगेश्वर दत्त से भी झगड़ा हुआ था, जिन्होंने लंदन ओलंपिक में सुशील के साथ देश के लिए कांस्य पदक अपने नाम किया था.

योगेश्वर दत्त छत्रसाल स्टेडियम में ही ट्रेनिंग करते थे लेकिन विवाद की वजह से लंदन ओलंपिक के बाद उन्होंने छत्रसाल स्टेडियम छोड़ दिया. वही अन्य पहलवानों, जितेंद्र कुमार और प्रवीण ने भी छत्रसाल स्टेडियम को छोड़ दिया. इनके अलावा वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में मैडल अपने नाम करने वाले पहलवान बजरंग पुनिया ने भी छत्रसाल स्टेडियम छोड़ दिया.

यही नहीं सुशील के व्यवहार से तंग आकर कई कोच छत्रसाल स्टेडियम छोड़ चुके है तो कोच रामफल लंदन ओलंपिक के बाद छत्रसाल स्टेडियम से रवाना हुए. वहीं 6 महीने पहले सुशील के खास माने जाने वाले वीरेंद्र सिंह भी विवादों की वजह से सुशील से दूर हो गए.

सुशील कुमार पर साल 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के ट्रायल बाउट के दौरान पहलवान जितेंद्र की आंख में जानबूझकर घूंसा मारने का आरोप लगा था. इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुए इस ट्रायल के फाइनल में जितेंद्र का सामना सुशील से हुआ था.

बाउट के दौरान सुशील ने कथित तौर पर पहले जितेंद्र की उंगली घुमाई, फिर उनकी बाईं आंख पर मुक्का मारा. जितेंद्र ने तब मीडिया को बोला था कि उन्हें लगी चोट ने उन्हें कुछ टाइम के लिए दिखने से रोक दिया था.

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