नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस पर सोसायटी ऑफ वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन यानी स्विफ्ट पेमेंट ट्रांसफर पर प्रतिबंध से वहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके परिवार वालों के लिए उन्हें खर्च के लिए पैसे भेजने में मुश्किलें आनी शुरू हो गई हैं। सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक भारत के कुछ बैंक ने सभी शाखाओं को इस तरह के पेमेंट न भेजने के लिए आंतरिक दिशानिर्देश भी जारी कर दिए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, भारत से करीब 16 हजार छात्र हर साल पढ़ने के लिए रूस जाते हैं। इन छात्रों की फीस के साथ-साथ खर्च की दूसरी जरूरतों के लिए पैसे उनके परिवार वाले भारतीय बैंकों से भेजते हैं। ये रकम स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली के जरिए भारतीय बैंकों से रूस के बैंकों को भेजे जाते हैं।
हरकत में आरबीआई
पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए अब रिजर्व बैंक भी हरकत में आ गया है। केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकों से रूस भेजे जाने वाली रकम का ब्योरा मांगा है, ताकि उस हिसाब से पेमेंट के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तैयार करने पर काम शुरू किया जा सके। छात्रों के साथ-साथ कारोबारियों को भी कई मोर्चों पर इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं कुछ मामलों में पेमेंट ट्रांसफर की इजाजत से आसानी है, लेकिन ये व्यवस्था कब तक चलेगी इस पर अनिश्चितता जरूर बनी हुई है।
आगे और मुश्किल
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट एसोसिएशन यानि फियो के सेक्रेटरी जनरल अजय सहाय ने बताया है कि स्विफ्ट प्रतिबंधों के साथ-साथ कुछ मदों में ढील भी दी गई है। उन्होंने कहा कि ये प्रतिबंध पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है। कृषि, दवाओं और ऊर्जा क्षेत्र को छोड़ कर बाकी क्षेत्रों में पूरी तरह से प्रतिबंध लगे हैं। अजय सहाय ने ये भी बताया कि ऐसे माहौल में बैंक भी पेमेंट भेजने में कतराते हैं कि कहीं अगर बदलते माहौल में पेमेंट फंस गया तो उसे वापस लाने के लिए मुसीबत उठनी होगी।
वैकल्पिक व्यवस्था
जानकारों की राय में सरकारी पेमेंट की दिशा में कोई मुश्किल नहीं आएगी, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर या फिर कारोबारी गतिविधियों को चलाने के लिए कोई रकम रूस भेजनी पड़ेगी तो उसके लिए नई व्यवस्था बनानी पड़ सकती है। इस दिशा में रूस की तरफ से भारत में बैंक खोलने या फिर रकम के बराबर यहां से निर्यात जैसे विकल्पों का आजमाया जा सकता है।