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दुनिया का सबसे बड़ा संविधान, जहां चाय वाला भी बना पीएम, जानें क्यों खास है भारतीय संविधान?

देहरादून (गौरव ममगाई): 26 नवंबर 1949 का दिन, जब स्वतंत्र भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान संपूर्ण देश में लागू किया गया था। ब्रिटिश अधीनता से मुक्त होने के बाद भारत का अपना पृथक संविधान बनना तो विशेष था ही, लेकिन यह संविधान और भी कई मायने में खास था। आइये जानते हैं इस संविधान की मुख्य विशेषताओं के बारे में, जो हर भारतीय नागरिक के लिए जानना बेहद आवश्यक भी है।

सबसे बड़ा लिखित संविधानः
भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 1950 में संविधान लागू होने के समय मूल संविधान में कुल 22 भाग व 395 आर्टिकल थे। आठ अनुसूचियां (शेड्यूल) भी थे। यह संविधान अमेरिका से भी बड़ा था। कई संशोधनों एवं विस्तार के बाद वर्तमान में 25 भाग व 448 आर्टिकल हैं। अनुसूची भी 8 बढ़कर 12 हो गई हैं। बता दें कि वर्ष 1993 में 11वीं अनुसूची पंचायती राज व 12वीं अनुसूची नगर निकाय को संवैधानिकता प्रदान करने हेतु जोड़ी गई थी है।

प्रस्तावना है ‘संविधान की कुंजी’:
अर्नेस्ट बेकर ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘संविधान की कुंजी’ कहा था। भारतीय संविधान की प्रस्तावना को विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। दरअसल, भारतीय संविधान का प्रारंभ प्रस्तावना से होता है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि भारतीय संविधान की शक्ति जनता में निहित है। अर्थात् जनता को ही सर्वोच्च माना है। प्रस्तावना स्पष्ट करती है कि संविधान का उद्देश्य क्या है ?देश में राजनीतिक एवं न्यायिक प्रणाली का स्वरूप क्या होगा ?

कई देशों से अपनायी गई अलग-अलग विशेषताएं::
संविधान सभा ने भारतीय संविधान को तैयार करने में किसी एक देश पर निर्भर रहने के बजाय अनेक देशों के संविधान का अध्ययन किया। यही वजह है कि संविधान सभा ने भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक अपेक्षाओं की दृष्टि से सभी देशों की अलग-अलग विशेषताओं को अपनाया, जिससे भारतीय संविधान मे विविधता एवं विशिष्टता का गुण विद्यमान हो सका।

उदाहरणः-
अमेरिका – मौलिक अधिकार (आर्टिकल 12-35 तक) व न्यायिक प्रणाली
रूस – मौलिक कर्तव्य (आर्टिकल 51 अ)
आयरलैंड – राज्य के नीति-निदेशक तत्व, जिसे डीपीएसपी के नाम से भी जानते हैं (आर्टिकल 36 से 51)
साउथ अफ्रीका – संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया
कनाडा – राज्य व संघ में शक्ति विभाजन

विधायिका व न्यायिक व्यवस्था में चेक एंड बैलेंस :
संविधान में विधायिका को कानून बनाने की विशेष शक्ति प्रदान की गई है, जिससे विधायिका का विशेष महत्त्व है। लेकिन, दूसरी ओर न्यायालय को भी संविधान का रक्षक के रूप में शक्ति दी गई है। यानी, जब भी विधायिका संविधान के विपरीत जाकर कोई कार्य करेगी तो न्यायालय उस कार्य को रोकने में पूरी तरह सक्षम होगा। इससे विधायिका और न्यायपालिका में एक-दूसरे पर नियंत्रण बनाये रखने की चेक एंड बैलेंस व्यवस्था बनायी गई है, ताकि दोनों ही महत्वपूर्ण अंग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर न जायें।

लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना पर जोरः
संविधान की एक अन्य मुख्य विशेषता यह भी है कि संविधान में लोककल्याण को विशेष महत्त्व दिया है। भाग-4 में आर्टिकल 36 से 51 तक राज्य के नीति-निदेशक तत्व (डीपीएसपी) का वर्णन है, इन आर्टिकल में उन महत्त्वपूर्ण विषयों को शामिल किया है, जो किसी भी राज्य में लोककल्याण के लिए आवश्यक हैं। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे इन विषयों को लागू कर लोककल्याण को स्थापित करेंगे। इसी में आर्टिकल-40 में ग्राम पंचातीय राज व अन्य आर्टिकल में श्रमिक न्याय, महिला कर्मियों के लिए आदर्श माहौल, वन्य-जीव एवं पर्यावरण के संरक्षण व अन्य अहम विषयों को स्थान दिया है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर::
संविधान के भाग-3 में आर्टिकल 12 से 35 तक में मौलिक अधिकारों को शामिल किया है, जिसमें आर्टिकल-19 में वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। इसी अधिकार के तहत प्रत्येक नागरिक को देश में बोलने व सरकार से कोई भी सवाल करने का अधिकार दिया है। भारतीय मीडिया को भी इसी अधिकार के तहत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से समाचार दिखाने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा समानता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार व कई अन्य शामिल किये हैं।

राज्यों की स्वायतत्ता भी बनाये रखी है::
संविधान में राज्यों की स्वायतत्ता को भी बनाये रखने पर विशेष जोर दिया है। प्रत्येक राज्य में निर्वाचित सरकारें स्वतंत्र रूप से शासन कर सकें, राज्य के हित में निर्णय ले सकें। वहीं, यह भी प्रावधान है कि केंद्र सरकार संसद में कानून बनाकर किसी राज्य पर जबरन लागू नही कर सकती है। इसके लिए उस राज्य के विधान मंडल से विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित होना अनिवार्य है। केवल आपातकाल या राष्ट्र सुरक्षा जैसे अतिसंवेदनशील समय ही केंद्र सरकार संसद में किसी राज्य से जुड़ा कानून बना सकती है।

समय के साथ-साथ विभिन्न सरकारें कानून में आवश्यकता अनुरूप संशोधन करती रही हैं। हर किसी ने संविधान को मजबूती देने का प्रयास किया है। आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विदेशी धरती पर भारतीय संविधान एवं लोकतंत्र को दुनिया के लिए आदर्श बताते हैं। इसी संविधान की बदौलत आज भारत सबसे बड़ा एवं सफल लोकतंत्र स्थापित हो सका है। यह भारतीय संविधान की ताकत ही है कि एक सामान्य परिवार में पैदा हुआ बच्चा आज भारत का प्रधानमंत्री बन पाया है। ऐसे महान संविधान पर हर भारतीय को गर्व है।

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