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मंदिर में जब इंदिरा गांधी और सोनिया को भी नहीं मिली थी एंट्री, क्यों उठा था सवाल

नई दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार को विवादों से राहत नहीं मिल रही है। अब उनके मंत्री इजरायल मंसूरी गया के विष्णुपद मंदिर में दाखिल होकर परेशानियों में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि प्रवेश वर्जित होने के बाद भी उन्होंने मंदिर में प्रवेश किया। खास बात है कि मंदिर के द्वार पर लिखा है, ‘अहिन्दु प्रवेश निषेध’। अब मंसूरी तो इसे अपना ‘सौभाग्य’ बता रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता और सोशल मीडिया यूजर्स नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब देश की किसी प्रभावशाली व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश से रोका गया हो। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी इस तरह के नियमों का सामना कर चुके हैं। साथ ही अन्य कई विदेशी हस्तियां भी भारत में इन नियमों के चलते लगाई गई रोक से अछूती नहीं रहीं।

महात्मा गांधी
खास बात है कि जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी उस वक्त रोका गया था, जब मुसलमानों, हरिजनों और दलितों के दल को लेकर मंदिर पहुंचे थे।

ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी। कारण बताया गया था कि पारसी फिरोज गांधी से शादी करने के चलते उन्हें एंट्री नहीं मिल सकी थी। यहां बोर्ड पर ही लिखा हुआ है कि केवल हिंदू ही प्रवेश कर सकते हैं।

मार्च 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी को भी जगन्नाथपुरी में प्रवेश से रोक दिया गया था। हालांकि, इसे लेकर अथॉरिटी की तरफ से माफी मांगी गई थी, लेकिन मामले में राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से खासा विरोध जताया गया था और स्पष्टीकरण की मांग की गई थी।

बात सन 1984 की है, जब राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे। उस दौरान उनकी पत्नी और कांग्रेस की मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश से रोक दिया गया था। कहा गया कि ईसाई और इटली से होने के चलते उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसे लेकर राजनयिक स्तर पर काफी बवाल हुआ था। भारत ने नेपाल के खिलाफ एक आर्थिक रोक जारी कर दी थी। हालांकि, इसके तार सोनिया से जुड़े होने से इनकार किया था। कहा जाता है कि उस दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह को रास्ता निकालने के लिए भेजा गया था। खास बात है कि सोनिया गांधी को 1998 में ऐसी ही स्थित का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने तिरुपति मंदिर में विजिटर बुक में साइन किया। तब तिरुपति बोर्ड के अध्यक्ष रहे कांग्रेस नेता सुब्बीरामी रेड्डी ने उनकी एंट्री में मदद की थी।

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी भी नियमों का सामना कर चुके हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह जब सोमनाथ मंदिर गए थे, तो इस बात पर बड़े सवाल उठे कि उन्हें क्यों गैर हिंदुओं के लिए रखी गई किताब पर साइन करने पड़े। हालांकि, कांग्रेस ने इससे इनकार करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

साल 2005 में थाईलैंड की महारानी महाचक्री श्रीधरन को बौद्ध अनुयायी होने के चलते जगन्नाथ मंदिर में नहीं जाने दिया गया था। साल 2006 में स्विट्जरलैंड की नागरिक एलिजाबेथ जिग्लर, 1977 में इस्कॉन के संस्थापक भक्ति वेदांत स्वामि प्रभुपाद के भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली।

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