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आपका बच्चा भी पीता है बॉटल से दूध तो हो जाइये सावधान, जानिए वजह

जब तक बच्चा 6 महीने का ना हो जाए तब तक शिशु को स्तनपान करवाने की परामर्श दिया जाता है। एक्सपर्ट्स के मुताबित लिए 6 महीने तक स्तनपान बहुत आवश्यक होता है। शिशु को स्तनपान करने से बच्चे को जरूरी पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। कहते है की अगर बच्चा 6 महीने का हो जाए तो उसे बोतल से दूध पिलाया जा सकता है। लेकिन अगर बोतल का दूध बच्चों को पिलाया जाता है तो बच्चे के सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आज आपको बनाएं कि बच्चों को बोतल से दूध पिलाने से क्या हानि होता है। बच्चो के सेहत पर कितना बुरा असर पड़ता है।

अगर बच्चा बॉटल का दूध पीता है तो बच्चे को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता है। कई रिसर्च में ये दावा किया गया है कि जो बच्चे स्तनपान करते हैं वो बोतल से दूध पीने वाले बच्चों के मुकाबले अधिक सेहतमंद होते हैं। बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को आने वाले समय में मोटापा जैसी दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है। एक अध्यन के मुताबिक स्तनपान करने वाले बच्चे बोतल से दूध पीने वाले बच्चों की मुकाबले में ज्यादा सेहतमंद रहते हैं।

बोतल से दूध पीने वाले बच्चों का इम्यून सिस्टम दुर्बल हो जाता है। स्तनपान करने वाले बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। मां के दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व मैजूद होते हैं जो इम्यन सिस्टम को स्ट्रांग करने में मददगार होते हैं। बोतल का दूध पीने से बच्चे को इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है। कुछ बच्चों को बोतल का दूध पीने की वजह से दस्त, छाती में इंफेक्शन, यूरीन इंफेक्शन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

एक शोध के मुताबिक बोतल का दूध पीलाने से मां और बच्चे के रिश्ते में दूरियां भी बढ़ने लगती है। स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच एक मजबूत रिश्ता बनता है।

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