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एएपी के विदेशी चंदे की जांच जारी : शिंदे (लीड-2)

kahaaनई दिल्ली  (एजेंसी)। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को कहा कि सरकार आम आदमी पार्टी (एएपी) को विदेश से प्राप्त चंदे के स्रोत की जांच कर रही है। एएपी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने पलटवार करते हुए भाजपा और कांग्रेस के चंदे के स्रोतों की भी जांच कराने की मांग की है। शिंदे ने कहा  ‘‘हमें एएपी को विदेश से धन मिलने की शिकायत मिली है और हम इसकी जांच कर रहे हैं। जांच में समय लगता है और हम धन के स्रोत का पता लगा रहे हैं।’’भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि यदि कोई विदेशी चंदा लिया गया है तो उसकी जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा  ‘‘राजनीतिक दलों को विदेशी चंदा लेने की अनुमति नहीं है।’’ एएपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं  बशर्ते कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के धन के स्रोत की भी जांच होनी चाहिए। केजरीवाल ने कहा  ‘‘बेशक वे हमारी जांच कर सकते हैं  लेकिन उन्हें भाजपा और कांग्रेस के स्रोतों की भी जांच करनी चाहिए। गृह मंत्री को कांग्रेस के चंदे के स्रोत का भी खुलासा करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा  ‘‘हमारे पास कोई विदेशी फंडिंग नहीं है। हमें अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) ने चंदा दिया है। हमने सभी दानदाताओं के नाम और आडिट रिपोर्ट वेबसाइट पर डाल दिए हैं।’’ एएपी नेता कुमार विश्वास ने सरकार को चुनौती दी है कि वह उन्हें दोषी सिद्ध करके दिखाए। उन्होंने कहा  ‘‘हमारे खिलाफ आरोप लगाने का कोई आधार नहीं है। मैं कांग्रेस और भाजपा दोनों को चुनौती देता हूं कि वे हमें दोषी साबित करें। हमें सारे धन पारदर्शी तरीके से मिले हैं। दोनों पार्टियां हमसे डरी हुई हैं।’’ बाद में पार्टी की ओर से जारी एक बयान में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म एडीआर के आंकडों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भाजपा  कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी बसपा जैसे राजनीतिक दलों को दो-तिहाई धन अज्ञात स्रोतों से आता है। नई पार्टी एएपी के कारण कांग्रेस और भाजपा की संभावनाएं धूमिल नजर आ रही हैं। कांग्रेस जहां 15 सालों से सत्ता में है  वहीं विपक्षी भाजपा उसे हरा कर जीत की उम्मीद कर रही है। एएपी के बयान में कहा गया है  ‘‘एडीआर के विश्लेषण में यह भी खुलासा हुआ है कि कांग्रेस और भाजपा को एक विदेशी कंपनी -वेदांता- से धन प्राप्त हुआ है  जिसकी विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम-1976 की धारा-3 और 4 के तहत अनुमति नहीं है।’’बयान में कहा गया है  ‘‘ऐसे में सवाल यह उठता है कि पारदर्शिता का उपदेश देने वाली अन्य पार्टियां क्या खुद इसका पालन करती है? क्या वे अपने चंदे के स्रोत की जानकारी देने को तैयार हैं?’’

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