उत्तर प्रदेशलखनऊ

परीक्षा का रिजल्ट पूरे जीवन की सफलता का पैमाना नहीं!

डा.जगदीश गांधी, संस्थापक प्रबन्धक, सीएमएस, लखनऊ

स्कूल में बालक की एक वर्ष में क्या प्रगति हुई? इस बात का उल्लेख परीक्षा के रिजल्ट में होता है। परन्तु यह रिजल्ट इस बात की कतई गारंटी नहीं देता है कि बालक जीवन में सफल होगा या असफल? केवल भौतिक ज्ञान की वृद्धि हो जाये तथा सामाजिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान न्यून हो जाये यह स्थिति संतुलित नहीं है। जीवन में इसी असंतुलन के कारण आगे चलकर बालक अपने जीवन में असफल हो सकता है। पूरे वर्ष मेहनत तथा मनोयोग से पढ़ाई करके स्कूल का रिजल्ट अच्छा बनाया जा सकता है परन्तु सफल जीवन तो भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों शिक्षाओं के संतुलन का योग है।

परीक्षा का रिजल्ट तो केवल विभिन्न विषयों के भौतिक ज्ञान का आईना मात्र

आज स्कूल वाले बच्चों की पढ़ाई की तैयारी इस प्रकार से कराते हैं ताकि बालक अच्छे अंकों से परीक्षा में उत्तीर्ण हो जायें। माता-पिता का भी पूरा ध्यान अपने प्रिय बालक के अंकों की ओर ही होता है। समाज के लोग भी मात्र यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि बालक ने सम्बन्धित विषयों में कितने अंक प्राप्त किये हैं। किसी का भी इस बात की ओर ध्यान नहीं जा रहा है कि बालक को सामाजिक एवं आध्यात्मिक गुणों को बाल्यावस्था से ही विकसित करना भी उतना ही आवश्यक है जितना उसको पुस्तकीय ज्ञान देना।

कामयाब व्यक्ति भी अपने जीवन में कभी हुए थे असफल

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन 32 बार छोटे-बड़े चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे थे। वह 33वीं बार के प्रयास में कामयाब हुए और राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर असीन हुए। वह पूरे विश्व के सबसे लोकप्रिय अमरीका के राष्ट्रपति बने। इंग्लैण्ड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अपने स्कूली दिनों में एक बार भी परीक्षा में सफल नहीं रहे। वह परीक्षा में बार-बार फेल होने से कभी भी निराश नहीं हुए और बाद में अपने आत्मविश्वास के बल पर वह इंग्लैण्ड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने। उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

मन के हारे हार है, मन की जीते जीत

बल्ब का आविष्कार करने के दौरान एडिसन 1000 बार असफल हुए थे। इसके बावजूद भी एडिसन ने आशा नहीं छोड़ी उन्होंने एक और कोशिश की और इस बार वह बल्ब का आविष्कार करने में सफल हुए। महात्मा गांधी अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान थर्ड डिवीजन में हाई स्कूल परीक्षा पास हुए थे। महात्मा गांधी अपनी मेहनत, लगन एवं ईश्वर पर अटूट विश्वास के बलबूते जीवन में एक कामयाब व्यक्ति बने और अपने जनहित के कार्यो के कारण सदा-सदा के लिए अमर हो गये।

जीवन यापन के लिए भौतिक शिक्षा अति आवश्यक

यह सोचना उचित नहीं है कि रिजल्ट अच्छा आ गया हो तो जीवन में सफल हो गये या रिजल्ट खराब हो गया तो जीवन में असफल हो गये। जीवन में संतुलन जरूरी है। रिजल्ट कार्ड भौतिक ज्ञान की उपलब्धियों का पुरस्कार है। रोटी कमाने के लिए भौतिक शिक्षा भी जरूरी है। मनुष्य पढ़-लिखकर अर्थात भौतिक ज्ञान अर्जित करके मेहनत से रोटी कमायेगा। यदि यह नहीं करेगा तो चोरी करेगा या भीख मांगने का रास्ता अपनाएगा। आज के समय में व्यापार करने के लिए भी विभिन्न तरह के फार्म आदि भरने पड़ते हैं। अर्थात व्यापार में पढ़ा-लिखा व्यक्ति ज्यादा तेजी से तरक्की करता है। आज कम्प्यूटर के ज्ञान के बिना पढ़ाई भी बेकार है।

बालक को स्मार्ट के साथ ही साथ गुड भी बनायें

स्कूलों में मिलने वाला रिजल्ट तो मात्र बालक के जीवन का एक हिस्सा मात्र है। भौतिक शिक्षा बालक को रोटी कमाने के लिए तैयार करने में तो सहायक है किन्तु जीवन को सुखी बनाने के लिए उसे भौतिक के साथ ही साथ सामाजिक तथा आध्यात्मिक शिक्षा देने की भी आवश्यकता है। बालक को स्मार्ट के साथ ही साथ गुड भी बनाना जरूरी है। गुड अर्थात अच्छे हृदय का बालक। ऐसा बालक अपने जीवन की किसी भी परिस्थितियों में सदैव दूसरों को सुख ही पहुँचायेगा और विश्व का प्रकाश बन जायेगा। अपने बालक को ‘विश्व का प्रकाश’ बनाने के लिए बालकों को संतुलित शिक्षा देने के अभियान में अभिभावकों को स्कूल के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए।

बच्चे ही हमारी असली पूँजी हैं

जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है उसी तरह हमारी जिम्मेदारी भी उसके प्रति बढ़ती है। अतः हमें भी बच्चे की मानसिक विकास के अनुरूप बदलना चाहिए। यदि आप अपने बच्चे को बाल्यावस्था में संस्कार-व्यवहार को विकसित होने के लिए स्वस्थ वातावरण नहीं देते हैं तो युवावस्था में गुणों के अभाव में उसे जीवन की परीक्षा में सफल होने में कठिनाई होती है। अभिभावक उस समय उसके आस-पास नहीं होते हैं। गुणों को विकसित करने की सबसे अच्छी अवस्था बचपन की होती है।

बच्चों के जीवन निर्माण में परिवार, समाज और स्कूल का एकताबद्ध प्रयास जरूरी

बच्चों के जीवन निर्माण में परिवार, समाज और स्कूल को एकताबद्ध होकर सकारात्मक वातावरण विकसित करना होगा। इसके लिए परिवार, समाज और स्कूल को बच्चों के परीक्षा के रिजल्ट को उनके जीवन की सफलता का पैमाना न बनाते हुए प्रत्येक बालक को जीवन की परीक्षा के लिए तैयार करना होगा। प्रत्येक बालक को सर्वश्रेष्ठ भौतिक शिक्षा के साथ ही सामाजिक एवं आध्यत्मिक शिक्षा देकर उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना होगां इस प्रकार संतुलित एवं उद्देश्यपूर्ण शिक्षा के माध्यम से निर्मित प्रत्येक बालक सम्पूर्ण जीवन की परीक्षा के लिए तैयार होगा और ऐसी ही पीढ़ी के द्वारा एक सुन्दर एवं सुरक्षित समाज की स्थापना भी हो जायेगी।

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