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अब भी खत्म नहीं हुआ सऊदी अरब की महिलाओं का संघर्ष

बेशक तीन दशक के संघर्ष के बाद सऊदी अरब की महिलाओं को कार चलाने की आजादी मिल गई है, लेकिन अब भी उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। आज भी रोजमर्रा के जीवन में कई ऐसी मुश्किलें हैं, जिनसे पार पाने के लिए उन्हें नए सिरे से मैदान में उतरना होगा। सऊदी के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान विजन 2030 के तहत महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सुधारवादी नीति अपनाते हुए कई तरह की आजादी दिलाने में जुटे हैं। फिर भी कई काम ऐसे हैं, जिन्हें करने के लिए या तो उन्हें पुरुषों की अनुमति लेनी होती है या वे कर ही नहीं सकतीं।

अब भी खत्म नहीं हुआ सऊदी अरब की महिलाओं का संघर्षबैंक खाता नहीं खुलवा सकतीं
आज भी सऊदी की महिलाएं खुद को आर्थिक तौर पर आजाद महसूस नहीं कर पाती हैं। सऊदी में महिलाओं को बैंक अकाउंट खुलवाने की आजादी नहीं है। इसके लिए उन्हें घर के पुरुषों की मंजूरी लेना जरूरी है।

खुद नहीं बनवा सकतीं पासपोर्ट
सऊदी में महिलाओं को पासपोर्ट बनवाने के लिए पिता, पति, भाई या घर के किसी पुरुष से आधिकारिक अनुमति लेना जरूरी है। पुरुषों की बिना मर्जी महिलाओं को घूमने की भी आजादी नहीं है। घर का कोई पुरुष हर जगह उनके साथ जाता है।

शादी-तलाक की आजादी नहीं
सऊदी में महिलाओं को अपनी पसंद के पुरुष से शादी करने की आजादी नहीं है। साथ ही पति से अनबन होने, प्रताड़ित करने या किसी भी वजह से तलाक लेने की स्वतंत्रता भी नहीं है।

पुरुष दोस्त के साथ नहीं पी सकतीं कॉफी
सऊदी में महिलाएं रिश्तेदारों के अलावा अन्य पुरुषों से सीमित समय तक ही बात कर सकती हैं। ज्यादातर सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए प्रवेश द्वारा भी अलग हैं। ऐसे में वे अपने पुरुष दोस्तों के साथ कॉफी पीने के बारे में सोच भी नहीं सकतीं।
मर्जी के कपड़े पहनने की आजादी नहीं
सऊदी की महिलाएं सुंदरता दिखाने वाले कपड़े नहीं पहन सकतीं। महिलाओं के लिए इस्लामिक कानून के मुताबिक ड्रेस कोड तय है। अधिकतर सऊदी महिलाएं हिजाब करके घर से निकलती हैं।

संपत्ति में बराबर का हिस्सा नहीं
सऊदी की महिलाओं को सार्वजनिक स्विमिंग पूल, जिम और स्पा में जाने की इजाजत नहीं है। उन्हें माता-पिता की संपत्ति में बराबर का हिस्सा भी नहीं मिल सकता।

यह हैं आजादी
कर सकती हैं कारोबार
सऊदी की महिलाओं को सेना में शामिल होने की इजाजत है।
पुरुषों की अनुमति लिए बिना कारोबार शुरू करने की मंजूरी है।
महिलाओं को रिटेल व अस्पतालों में काम करने की छूट है।
महिला वकीलों को वकालत करने की मिल चुकी है इजाजत।
देश की कूटनीतिक सेवाओं के लिए महिलाएं आवेदन कर सकती हैं।
महिलाएं अखबार की संपादक और टीवी शो की होस्ट बन सकती हैं।
इसके अलावा कॉल सेंटर में काम करने की उन्हें पूरी छूट है।
फुटबॉल मैच देखने के लिए स्टेडियम जाने पर पाबंदी नहीं है।

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