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अमित शाह ने कहा- धारा 370 के कारण J&K में बदहाली और आतंकवाद

गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि बिना धारा 370 हटाए जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का समाप्त नहीं किया जा सकता है। आतंकवाद की जड़ धारा 370 है। उन्होंने कहा कि 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर की बदहाली है और राज्य विकास के हर क्षेत्र में पिछड़ गया है। उन्होंने राज्य के युवाओं का आह्वान किया मोदी सरकार वहां के लोगों को गले लगाना चाहती है। राज्य में 70 सालों में सरकारों ने जो नहीं किया और गुमराह रही हैं। शाह ने कहा कि मैं आश्वास्त करना चाहता हूं कि वहां के लोग मोदी सरकार पर भरोसा करें पांच साल दें।

जम्मू-कश्मीर देश का सबसे ज्यादा विकसित राज्यों में होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हालात सामान्य होने जाने के बाद इसे पुन: पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। जिस दौरान गृहमंत्री सदन में जवाब दे रहे थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। अमित शाह ने बिल को लेकर उठाए सवालों, शंकाओं को विस्तार से जवाब दिया।

उन्होंने विपक्ष खासकर कांग्रेस से सवाल किया 1989 से 2018 तक वहां के 41,849 लोग मारे गए अगर वहां धारा 370 नहीं होती तो इतने लोगों की जान बच सकती थी। उन्होंने साफ किया जम्मू-कश्मीर के विलय के समय 370 को लेकर भारत का कोई वादा नहीं था। उन्होंने कांग्रेस से कहा जवाहर लाल नेहरू ने इसे अस्थाई तौर पर शामिल किया था लेकिन आप 70 सालों तक अस्थाई शब्द को पकड़े बैठे रहे। 370 और 35ए से राज्यों के लोगों को नुकसान हुआ है।

शाह से स्पष्ट किया कि भाजपा का 370 को लेकर 1950 से मत है कि ये गलत है लेकिन तब हमारे काउंसल भी जीतकर नहीं आते थे। अब उचित समय आया है इसके लिए मोदी सरकार सा जिगर चाहिए था। इसी इच्छाशक्ति के कारण ही इस धारा को हटाने काम कर रहे हैं ताकि राज्य देश से घुलमिल सके। उन्होंने कहा कि ये धारा 370 आतंकवाद की जनक है इसका राज्य के जुड़ाव से कोई लेना देना नहीं है। इतनी रियासतें जुड़ी एक बार इसे खोल देने पर हंसता खेलता जम्मू-कश्मीर दिखेगा।

उन्होंने धारा 370 को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थी विभिन्न राज्यों में जाकर बसे लेकिन जम्मू कश्मीर में बसने वालों को आज तक जम्मू-कश्मीर की नागरिकता नहीं मिली है। शरणार्थियों ने हमें मनमोहन सिंह और इंद्रकुमार गुजराल दो पीएम तो दिए लेकिन जम्मू-कश्मीर में शरणार्थी चुनाव नहीं लड़ सकते। राज्य के गांवों का विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं न मिलने का कारण भी धारा 370 है।

संविधान में 73-74वां संशोधन हुआ लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की वजह से लागू नहीं है। लिहाजा पंचायत चुनाव में भागीदारी का अधिकार बाधित रहा। उन्होंने राज्य के तीन परिवारों पर आरोप लगाया कि उनकी वजह से राज्य के लोगों कों जो सुविधाएं और विकास मिलना चाहिए था नहीं मिल सका। शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति से ऊपर से उठकर सोचने की जरूरत है। 2011-12 में देश में प्रति व्यक्ति 3,682 रुपए दिए गए और जम्मू-कश्मीर को 14,253 दिए गए बावजूद वहां विकास नहीं हो सका।

इसी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए 370 को हटाया जा रहा है। वहां के कुछ परिवारों के बीच ही बिजनेस होता है। जब बाहर से कोई बिजनेस मैन वहां जाकर जमीन नहीं खरीद सकता है काम धंधा नहीं लगा सकता है ऐसे में राज्य के युवाओं को रोजगार और काम धंधा कैसे मिलेगा। धारा 370 के कारण ही अभी तक ऐसा होता रहा है। वहां जिन लोगों के पास जमीन है उन्हें कीमत और खरीदार नहीं मिलते हैं इसलिए देश में सबसे सस्ती जमीन वहां है उन्हें उसकी अच्छी कीमत न मिलने का कारण 370 है।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं लेकिन जब तक बाहर के वहां बड़ी इंडस्ट्री, होटल, टूर ट्रेवल वाले नहीं जाएंगे तब तक कैसे वहां खुशहाली और रोजगार मिलेगा।
उन्होंने कहा कि भारत के निर्माण में इतनी सारी रियासतें जुड़ी महाराष्ट्र, गुजरात जहां की संस्कृति और पहचान कायम हैं इसलिए ये कहना गुमराह करना है कि 370 हटाने से वहां की संस्कृति पर प्रभाव पड़ेगा। 370 हटने पर वहां स्कूल खुलेंगे शिक्षक जाएंग और राज्य के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

उन्होंने विपक्ष के नेताओं पर तंज कसा कि ये अपने बच्चे विदेशों में पढ़ाते हैं। नए अस्पताल खुलेंगे डाक्टर और नर्स वहां जाएंगे। इसलिए ये बिल राज्य को अभिन्न अंग बनाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य भारत का मुकुट मणि है। उन्होंने कहा कि राज्य के पिछड़ा, दलित, आदिवासी, महिलाओं और बच्चों को अधिकार देंगे। शाह ने कहा कि राज्य में आतंकवाद की जड़ 370 है। वहां के नागरिकों खासकर युवाओं को गुमराह करके अलगाव पैदा किया गया और नाराजगी भावना खड़ी कर पाकिस्तान ने इसका उपयोग किया।

वहां के बच्चों को अनपढ़ रखने की साजिश की गई। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल नहीं कभी जम्मू-कश्मीर के विलय को लेकर वार्ता नहीं उन्होंने 650 रियासतों को जोड़ा लेकिन एक में भी 370 लागू नहीं है। जबकि जम्मू-कश्मीर को लेकर नेहरू बातचीत कर रञे थे। उन्होंने सदन ी कार्यवाही से ये निकालने को कहा कि पटेल जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान को देना चाहते थे।

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