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इजराइल-भारत की दोस्ती से बौखलाया चीन

-प्रभुनाथ शुक्ल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा ने दोनों मुल्कों के मध्य कूटनीति का नया इतिहास रचा है। दुनिया का एक मात्र यहूदी देश इस दोस्ती को जिस दिलगली से लिया है वह मील का पत्थर साबित होगी। इजराइल भारत का सबसे पुराना मित्र रहा है, लेकिन 70 सालों तक संबंधों पर बर्फ जमीं थी, मोदी ने इस बर्फ को साफ कर स्थिति को पारदर्शी बना दिया है। हमारे विदेश नीति की संभवतः यह सबसे बड़ी भूल थी। हम इतने वफादार मित्र से कूटनीतिक दूरी क्यों बनाएं रखें, यह हमारी अदूरदर्शिता का सबसे बड़ा कराण साबित हुआ है। भारत की बढ़ती उपलब्धि से चीन और पाकिस्तान संयुक्तराष्ट संघ से लेकर आतंकवाद और सीमा विवाद के मसले पर जिस तरह से घेरने की रणनीति बनाई है, उस स्थिति में यह दोस्ती और इजराइल के बीच हुए सात समझौते बेहद कामयाब होंगे। कांग्रेस और दूसरी सरकारों ने वैश्विक संबंधों के लिहाज से यह दूरी बना, बड़ी भूल की, यह बात भारत के लोगों को मोदी के दौरे के बाद समझ में आ रही है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने स्वागत भाषण से सिर्फ भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का नहीं अपितु पूरे भारतीय समुदाय का दिल जीत लिया, जिसमें उन्होंने कहा आपका स्वागत है मेरे दोस्त। इस संबोधन में बेहद गहराई छुपी है। याहू का संबोंधन सिर्फ औपचारिक नहीं था उसमें शालिनता के साथ भारतीय संस्कृति, सभ्यता और संस्कार की झलक साफ दिख रही थी। इस उदारता से यह साबित हो गया है कि भारत और इजराइल के संबंध आनेवाले वक्त में दुनिया को एक संदेश देने में कामयाब होंगे। यह बात इजराइली पीएम ने अपने संबोंधन में कहा भी है कि हम दोनों दुनिया बदल सकते हैं, हमारी दोस्ती स्वर्ग में बनी है।
वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक सफलता से चीन और पाकिस्तान जल-भून गया है। प्रधानमंत्री मोदी चीन समेत 56 देशों की विदेश यात्रा कर चुके हैं, जहां उन्होंने भारत की कूटनीतिक सफलता का झंड़ा बुलंद किया है। भारत की इसी विदेश नीति की कूटनीतिक सफलता का राज है कि अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्क ने पाकिस्तान की गोद में पल रहे सैयद सलाउद्दीन को आतंकी घोषित किया है। जबकि हाफिज सईद पर चीन हर बार अपने वीटो का प्रयोग कर पाकिस्तान के लिए ढ़ाल बन जाता है। वैश्विक मंच पर भारत बिना किसी यु़द्ध के आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को नंगा करने में सफलता हासिल की है। दुनिया को हम यह समझाने में कामयाब रहे हैं कि भारत युद्ध नहीं बुद्ध के सिद्धांत में हमेंशा विश्वास रखा है। आतंकवाद कोई अच्छा बुरा नहीं होता, वह पीड़ा अगर भारत को झेलनी पड़ रही है तो इजराइल भी इससे अछूता नहीं है। आतंक का दर्द मासूम मोशे से अच्छा भला कौन समझ सकता है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते इस्लामिक आतंकवाद के खतरे से पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है। जेहाद के नाम पर इस्लामिक मुल्कों में जिस तरह का तांडव हो रहा है वह किसी से छुपा नहीं है। यहीं वजह है कि आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई में भारत के साथ कई मुल्क खड़े हो गए हैं। जिसकी वजह से पाकिस्तान और चीन बौखलाया है।

चीन अंदर से हिल गया है। वह भारत की तरफ से की जा रही कूटनीतिक घेरे बंदी से घबरा गया है। जिसकी वजह है उसने सुरक्षा करणों का हवाला देकर पहले कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित किया फिर दोकलम पर विवाद खड़ा किया। अब दोकलम पर भारत को दावा छोड़ने की धमकी दे रहा है। क्योंकि भारत अमेरिका और इजराइल की त्रिकोणात्मक दोस्ती से उसकी जमींन हिल गयी है। वह चाहकर भी भारत का कुछ नहीं उखाड़ सकता। क्योंकि एशिया में उसकी दादागिरी पर लगाम लगाने के लिए भारत उसके लिए बड़ी मुशीबत बनता दिख रहा है। दुनिया में सैन्य तकनीक के मामले में इजराइल जैसी तकनीक किसी के पास नहीं है। कारगिल युद्व के दौरान भारत को जिस तरह इजराइल ने आधुनिक सैन्य मदद पहुंचायी उसे भारत कभी भूल नहीं सकता। अमेरिका और रुस जैसे देशों ने जब लेजर बम देने से मना कर दिया तो उस वक्त इजराइल हमारे साथ खड़ा था। उसने लेजर बम के साथ बोफोर्स तोपों के लिए गोले उपलब्ध कराए। जिसकी वजह रही की 1999 में कारगिल की दुर्गम पहाड़ियों पर भारत ने तरंगा लहराया और पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी। चीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए इजराइल के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता सयम की मांग थी। अब तक इस पर बेवह की बर्फ जीम थी। राजनैतिक और कूटनीतिक लिहाज से भारत फिलिस्तीन को अधिक तरजीह देता रहा, लेकिन उससे क्या हासिल हुआ, इसका कोई जबाब हमारे पास नहीं है। सिर्फ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण और अरब देशों को खुश रखने के लिए इजराइल से दूरी बनाई गई। इसके बावजूद भारत आतंकवाद का दंश झेल रहा है। आतंकी भारत के टुकड़े करने के सपने पाल रखें हैं।
पीएम मोदी की इस यात्रा ने दुनिया के मुस्लिम मुल्कों के साथ पाकिस्तान और चीन की बौखलाहट बढ़ा दी है। पाकिस्तान को लगने लगा है कि इजराइल के साथ भारत की दोस्ती उसके लिए खतरे की घंटी है। उसे चिंता है कि हमारी जमींन पर लहलहाती आतंक खेती का सफाया हो जाएगा। पीएम मोदी मोशे की मुलाकात के बहाने वैश्विक मंच पर आतंकबाद को लेकर पाकिस्तान को नंगा करने में बड़ी सफलता हासिल की है। मोशे की मुलाकात तो एक बहाना था। इजराइली पीएम और वहां के लोगों की मौजूदगी में मोदी , यह बताने में कामयाब रहे की 2008 में मुंबई के नरीमन हाउस और दूसरे स्थानों पर हुए आतंकी हमले में मोशे के माता-पिता संग छह यहूदी मारे गए थे। जिस वक्त यह हमला हुआ था मोशे की उम्र सिर्फ दो साल थी, अब वह 11 साल का हो गया है। पीएम मोदी इजराइल और यहूदी समुदाय को यह बाताने में कामयाब रहे कि मोशे के मां-बाप की मौत का जिम्मेदार पाकिस्तान और आतंकवाद है। क्योंकि भारत पर हमले करने वाले आतंकी पाकिस्तानी थे, षड़यंत्र में पाक का हाथ था। जिसकी वजह से मासूम मोश के मां-बाप और यहूदी समुदाय के लोगों को जान गवांनी पड़ी।
भारत और इजराइल के बीच हुए सात समझौतों से दोनों देशों के संबंधों में नया अध्याय जुड़ेगा। आतंकवाद के खिलाफ दोनों के एक मंच पर आने से पाकिस्तान और उसके आका की खटिया खड़ी हो जाएगी। इजराइल सैन्य और आधुनिक तकनीकी क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुका है। 80 लाख की आबादी और मणिपुर से भी कम क्षेत्रफल वाले मुल्क से आज पूरी दुनिया थर्राती है। इजराइल के चारों तरफ 12 से अधिक मुस्लिम देश हैं, जिनसे उसकी कभी नहीं पटती है। इन देशों से इजराइल का कई बार युद्ध को चुका है लेकिन जीत हर बार इजराइल की हुई है। इस समझौते से भारत को बहुत कुछ हासिल होने वाला है। नेतन्याहू ने समझौतों की डेटलाइन भी तय कर दी है यानी कुछ महींने में इसका असर भारत में दिखने लगेगा। दुनिया में इजराइल एक ऐसा मुल्क है जिसके पास खारे समुद्री पानी को को मीठा बनाने की तकनीक है। भारत के साथ हुए समझौते में सिंचाई की डिपिंग प्रणाली और पीने योग्य पानी की बात भी साझा है। अंतरीक्ष विज्ञान और विकास में भारत दुनिया को पीछे छोड़ चुका है। इस समझौते के जरिए दोनों एक मंच पर आकर बेहतर उपलब्धि हासिल करेंगे। कृषि विकास में आमूल परिवर्तन देखने को मिलेगा। दोनों दुनिया को बदलने की तागत करखते हैं। भारत-इजराइल की दोस्ती आने वाले दिनों में नया इतिहास लिखेगी। भारत की यह सबसे बड़ी वैश्विक कूटनीतिक सफलता साबित हुई है।

(लेखकः स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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