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उमा शर्मा के शरीर और आत्मा में बस नृत्य ही नृत्य

  • क्लासिकल गायकी अदायगी का जगमगाता कोहिनूर हैं उमा शर्मा
  • मशहूर कत्थक नृत्यांगना डॉक्टर उमा शर्मा से सूर्यकांत शर्मा की खास बात

साक्षात्कार : मशहूर कत्थक नृत्यांगना डॉक्टर उमा शर्मा जोकि पिछले छह दशकों से कत्थक नृत्य, क्लासिकल गायकी, अदायगी का जगमगाता कोहिनूर हैं। इस कोहिनूर को समय के साथ -साथ शोहरत, कामयाबी और पुरस्कारों का एक बड़ा खज़ाना भी ईश्वर ने दिल खोलकर दिया।

1973 में पदमश्री, बाद में संगीत नाटक अवार्ड्स, साहित्य कला परिषद अवार्ड, 2009 में पद्मविभूषण से नवाज़ा गया। एक सुसंस्कृत और भारतीय संस्कृति में आकंठ पल्लवित परिवार में डॉक्टर उमा शर्मा की परवरिश वैसुधैव कुटुम्बकम के माहौल में हुई। जल्द ही ये तय हो गया था कि कत्थक नृत्य में ही अब आगे बढ़ना है।

दोनों गुरुओं यथा आदरणीय शंभू महाराज जी, लखनऊ घराना और श्री सुंदर प्रसाद जी, जयपुर घराना से शिक्षा प्राप्त की। एक ओर जहां नज़ाकत, नफासत और अदा नृत्य था वहीं दूसरी ओर कवित्व, वीर रस, खुले और बोल्ड मूव्स थे।

डॉक्टर उमा शर्मा ने इस दोनों कलाओं को बेहद दिलकश अदाओं अंदाज़ और नृत्य की चपलता से इसमे अपना जादुई रूप समाहित कर दिया।
अनेकोनेक साहित्यकारों, गीतकारों या अन्य सृजनकर्मियों की रचनाओं को सजीव और दिलकश अंदाज में प्रस्तुत किया। उनमें कुछ प्रमुख नाम- डॉक्टर हरिवंश राय बच्चन, हृदय सम्राट भूतपूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई, मरहूम कैफी आज़मी, गालिब इत्यादि।

आज भी डॉक्टर उमा शर्मा कत्थक की सेवा में समर्पित है उसी जोश और जज्बे के साथ जैसा कि मशहूर मरहूम सरदार खुशवंत सिंह जी ने कहा था कि उमा शर्मा के जिस्म और आत्मा में बस नृत्य ही नृत्य है।

ऐसी महान हस्ती से खास बातचीत की हमारे रेजीडेंस एडिटर सूर्यकांत शर्मा ने।

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