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एंटी वायरस व एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है ‘गूलर’

मुरादाबाद : जिले में दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहीं डा. सीमा महेंद्रा के अनुसार कोरोना काल में गूलर बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। दरअसल, गूलर का पेड़ भरपूर आक्सीजन देता है। इसका फल एंटी वायरस, एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है। साथ ही विषैले पदार्थों को शरीर से निष्कासित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

मानसून के मौसम में गूलर का पौधा लगाया जाता है। इसी मौसम में नर्सरी अथवा जंगल से तीन या चार इंच की डंडी (जिसे कलम कहते हैं) द्वारा इसे रोपा जा सकता है। गौरतलब है कि गूलर के पेड़ और इसके फल में अनेक औषधीय गुण होते हैं। इसलिए इसके पेड़ को बोलचाल में ‘हकीम सरदार’ भी कहा जाता है। मुरादाबाद के ही हिंदू कालेज में वनस्पति विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डा. अनामिका त्रिपाठी के अनुसार गूलर फाइकस परिवार का एक विशाल वृक्ष है, जिसके फल अंजीर की भांति होते हैं। इसके फल तने पर गुच्छे के रूप में लगते हैं।

फल में कीट-पतंगे भी रहते हैं। इस कारण इसे जंतुफल भी कहा जाता है। वह कहती हैं कि 12 महीने फल देने के कारण इसको सदाफल भी कहा जाता है। वहीं वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक एसपी गुप्ता के अनुसार आयुर्वेद में गूलर को औषधि का खजाना माना गया है। इससे नेत्र रोग, मधुमेह, मूत्र विकार, डायरिया सहित कई प्रमुख रोगों की अचूक दवा बनती है। गूलर के पेड़ से निकला दूध बवासीर, मुंह के अल्सर व घाव सुखाने में लाभदायक होता है। गूलर का फल ल्युकोरिया, रक्त विकार, त्वचा विकार, पित्त विकार व शारीरिक कमजोरी दूर करने में उपयोगी होता है।

चेचक के उपचार में भी काम आता है। पेड़ का तना, पत्ती, फल व दूध सभी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि यदि कोई नियमित तौर पर एक वर्ष तक इसका फल खाए तो उसको नेत्ररोग की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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