अद्धयात्म

ऐसी ‘विवाह रेखा’ वाले पुरुषों को मिलती है विलक्षण और श्रेष्ठ पत्नी, खुशहाल रहता है पूरा जीवन

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली की विवाह रेखा व्यक्ति के विवाह का निर्धारण करती है। हथेली में विवाह रेखा कनिष्ठा (सबसे छोटी) अंगुली के किनारे छोटी-छोटी लम्बवत रेखा होती है।

ऐसी 'विवाह रेखा' वाले पुरुषों को मिलती है विलक्षण और श्रेष्ठ पत्नी, खुशहाल रहता है पूरा जीवन हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार विवाह रेखा का निर्धारण दोनों हथेली की रेखाओं को देखकर करना चाहिए। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि किसी पुरुष की बाईं हथेली में दो विवाह रेखाएं हैं और दाईं हथेली में एक विवाह रेखा है तो ऐसे लोगों को विलक्षण और श्रेष्ठ पत्नी मिलती है।

विवाह रेखा

ऐसे लोगों की पत्नी उन्हें अत्यधिक प्रेम करने वाली होती है। साथ ही ऐसे लोगों की पत्नी उनका अधिक ध्यान रखने वाली होती है। वहीं यदि किसी पुरुष की दाईं हथेली में दो विवाह रेखाएं हैं और बाईं हथेली में एक विवाह रेखा है तो ऐसे लोगों की पत्नी उनका अधिक ध्यान रखने वाली नहीं होती है।

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि दोनों हथेली में विवाह रेखा समान हो और समान लम्बाई की हो तो ऐसी विवाह रेखा शुभ लक्षणों वाली होती है। ऐसे लोगों का अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा तालमेल बना रहता है।

यदि किसी व्यक्ति के हाथ में विवाह रेखा ऊपर की ओर मुड़ जाए और छोटी उंगली तक पहुंच जाए तो ऐसे व्यक्ति के विवाह में काफी परेशानियां आती हैं। आमतौर पर ऐसी विवाह रेखा वाले इंसान का विवाह होना बहुत कठिन होता है। यह भी हो सकता है कि ऐसे लोग अविवाहित जीवन ही व्यतीत करें।

यदि विवाह रेखा के अंत में त्रिशूल के समान चिह्न दिखाई दे रहा है तो व्यक्ति अपने जीवनसाथी से बहुत अधिक प्रेम करने वाला होता है। इनके आपस का प्रेम अत्यधित होता है। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ वर्षों बाद ऐसा व्यक्ति जीवन साथी के प्रति उदासीन भी हो जाता है।

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि विवाह रेखा को कोई अन्य खड़ी रेखा या रेखाएं काट रही हैं तो यह विवाह में विलंब और बाधाओं का संकेतक माना जाता है। इसके अलावा ऊपर की ओर मुड़ी हुई विवाह रेखा शुभ नहीं मानी जाती है।

यदि ये रेखा थोड़ी सी ऊपर की ओर मुड़ गई है तो व्यक्ति का विवाह होने में बहुत बाधाएं आती हैं। यदि विवाह हो भी जाता है तो उनका वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक नहीं बीतता है।

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