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ऐसे तो उत्तर कोरिया का हौसला बढ़ा रहा है चीन

अजित वर्मा

कोरियाई प्रायद्वीप में चल रही तनातनी में अब चीन सीधे-सीधे उत्तर कोरिया के साथ खड़ा होता दिखने लगा है, जबकि अभी तक चीन उत्तर कोरिया की शैतानी नियत से दूरी बनाये रखने की नौटंकी कर रहा था। अब इस नौटंकी का परदा उठ रहा है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन हाल ही चीन के राजकीय दौरा पर गये। दक्षिण कोरिया में अमेरिका ने मिसाइल रोधी प्रणाली तैनात की थी जिससे बीजिंग की त्यौरियां चढ़ गई थी। ऐसे में इस दौरे को रिश्तों में आए तनाव को कम करने की कवायद कहा जा रहा था। मून की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भी बातचीत हुई। इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी सेना ने परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया की ओर से उपजे खतरे के जवाब में दक्षिण कोरिया में शक्तिशाली थाड प्रणाली तैनात की थी। उसके इस कदम से बीजिंग की नाराजगी बढ़ गई थी क्योंकि उसका मानना था कि यह उसकी खुद की सुरक्षा के लिए खतरा है। इसके बाद चीन ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ कई कदम उठाए थे, जन्हें आर्थिक मोर्चे पर बदले की कार्रवाई के रूप में देखा गया।

यों, पिछले महीने दोनों देशों ने संबंध बेहतर बनाने की साझा इच्छा जाहिर करने वाले एक जैसे बयान जारी किए थे। इसमें बीजिंग ने मांग की थी कि दक्षिण कोरिया औपचारिक रूप से यह वादा करे कि वह अब और थाड लांचर तैनात नहीं करेगा और क्षेत्र में किसी भी अमेरिकी मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली में शामिल नहीं होगा।मून के दौरे से पहले उनके कार्यालय की ओर से कहा गया था कि राष्ट्रपति चीन के साथ संबंध सामान्य करना चाहते हैं और यह दौरा और अधिक परिपक्व संबंध की दिशा में एक अहम कदम होगा।

उत्तर कोरिया पिछले लम्बे अर्से से परमाणु मिसाइलें विकसित करके और उनका परीक्षण करके अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया को धमकाता रहा है। जबकि ऐसा माना जाता है कि उत्तर कोरिया को इस स्थिति में लाने में पाकिस्तान और रूस के साथ ही चीन भी जिम्मेदार है। यह इसी से स्पष्ट है कि उत्तर कोरियाई खतरे से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया में मिसाइल रोधी प्रणाली थाड की तैनाती पर चीन लाल-पीला होने लगा, जबकि यह प्रहारात्मक नहीं प्रतिरक्षात्मक प्रणाली है। चीन अगर अप्रत्यक्ष रूप से भी उत्तरकोरिया को संरक्षण या सहायता देते दिखता है तो यह सम्पूर्ण विश्व का अपमान है। ऐसे में अगर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प के बाद द.कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन भी चीन की परिक्रमा करने दोड़ते नजर आयें तो इससे उत्तर कोरिया का हौसला और बढ़ेगा। यह कैसी डिप्लोमेसी है- इसका जवाब विश्व को ट्रम्प और मून को देना ही होगा।

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