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ओलम्पिक में रेलवे खिलाड़ियों को मेडल जिताने का सपना

-डीएन वर्मा
होनहार बिरवान के होत चिकने पात- कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई पड़ जाते हैं। संदीप मिश्रा के बचपन में ही खेल भावना के जोशोखरोश ने कुलांचे भरना शुरू कर दिया था। पढ़ाई के साथ ही तैराकी की तरफ उनका रुझान कुछ ज्यादा ही था। तभी तो पढ़ाई से जब भी मौका मिलता, वह अपने खास मित्र सचिन त्रिपाठी और अन्य साथियों के साथ तैरने निकल जाते। सचिन भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। तैराकी में राष्ट्रीय स्तर पर 18 मेडल जीतकर संदीप मिश्रा ने अपना नाम तो रोशन किया ही है, अन्य खिलाड़ियों के लिए मिसाल कायम किया है। रेलवे में कार्यरत खिलाड़ी और प्रशिक्षक संदीप का सपना है कि जिन खिलाड़ियों को वे प्रशिक्षण दे रहे हैं, वह ओलम्पिक और कॉमनवेल्थ जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकें। राजधानी लखनऊ के गनेशपुरी के रहने वाले संदीप इस समय स्पोट्र्स कोटे के तहत डीआरएम ऑफिस लखनऊ में कार्यरत हैं और रेलवे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देकर ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जिताने का सपना साकार करने में जुटे हुए हैं।

संदीप के घर का पारिवारिक माहौल भी पूरी तरह खेलमय और उनके अनुकूल रहा। संदीप के चाचा कीर्ति मिश्रा भी राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं और वह इंडिया के लिए खेल चुके हैं। इस समय कीर्ति मिश्रा रेलवे में स्पोट्र्स सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत हैं। संदीप का छोटा भाई प्रभात मिश्रा भी राष्ट्रीय तैराक है। चाचा कीर्ति मिश्रा के संरक्षण और गाइड लाइन पर अमल करते हुए संदीप ने अपनी प्रतिभा के बलबूते तैराकी में राष्ट्रीय स्तर पर 18 मेडल जीतकर वह मुकाम हासिल किया, जो दूसरे खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल है। बचपन से ही पढ़ाई व खेल में अव्वल रहे संदीप मिश्रा का चयन वर्ष 2001 में रेलवे में ग्रुप डी में हुआ। इनकी प्रतिभा व कड़ी मेहनत को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने इन्हें वर्ष 2003 में गु्रप सी में प्रोन्नति दे दी। 8 नवम्बर को 1982 को जन्मे संदीप मिश्रा की पढ़ाई लखनऊ में ही हुई है। पहली बार इन्होंने वर्ष 1994 में जूनियर एक्वेटिक चैम्पियनशिप मुम्बई में मेडल जीता। अब तक ये राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिताओं में 8 गोल्ड, 3 रजत और 7 कांस्य पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशियन एज गु्रप एक्वेटिक चैम्पियनशिप 2000 व 2003 में भी हिस्सा ले चुके हैं। वर्तमान में संदीप मिश्र के दिशा-निर्देश में रेलवे के कई खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं।

संदीप को मलाल है कि वह ओलम्पिक और कॉमनवेल्थ जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाये, इसलिए उनका सपना है कि जो खिलाड़ी उनसे प्रशिक्षण ले रहे हैं, उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जिता सकें। राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ी संदीप को खुशी है कि उनसे प्रशिक्षण ले चुके रेलवे खिलाड़ी हिमांशु तिवारी दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुके हैं। इसी तरह वह आगे भी रेलवे के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते रहेंगे। संदीप ने बताया कि रेलवे की तरफ से खिलाड़ियों को काफी सपोर्ट मिलता है। अगर कोई खिलाड़ी बेस्ट आफ थ्री में आता है तो कैम्प के लिए 330 दिन का स्पेशल लीव व अन्य सुविधाएं मिलती हैं। संदीप का मानना है कि उनसे प्रशिक्षण ले रहे रेलवे के खिलाड़ी ओलम्पिक में मेडल जीतकर उनका सपना अवश्य पूरा करेंगे।

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