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कजरी तीज आज, करवाचौथ से भी कठिन होता है सुहागिनों का व्रत


नई दिल्ली : देश में आज कजरी तीज का त्योहार मनाया जा रहा है। कजरी तीज हर साल भादो मास में कृष्ण तृतीया को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में साल में 3 बार तीज का त्योहार मनाया जाता है, हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज। हिंदू धर्म में मान्यता है कि कजरी तीज के दिन सुहागिनों को पति की लंबी उम्र का वरदान मिलता है, जबकि कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर का आशीर्वाद मिलता है। करवाचौथ की तरह ये व्रत भी सुहागिनों के लिए खास महत्व रखता है, इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं, देवी की आराधना करती हैं, झूला झूलती हैं, कजरी गाती हैं, भिन्न-भिन्न पकवान बनाती हैं और श्रृंगार करती हैं। कजरी तीज को ‘बूढ़ी’ तीज और ‘सातूड़ी’ तीज दोनों नामों से जाना जाता है। आसमान में घूमती काली घटाओं के कारण ही इसे ‘कजरी’ तीज कहते हैं।

करवा चौथ की तरह यह व्रत भी निर्जल रहकर किया जाता है। हालांकि वे महिलाएं जो गर्भवती हैं इस दिन फलाहार कर सकती हैं, चूंकि यह व्रत चांद को देखकर खोला जाता है, यदि रात्रि में चंद्रमा नहीं दिखाई दे तो रात 11.30 बजे आसमान की ओर मुख करके चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोल लें। कई महिलाएं अगली सुबह ही व्रत खोलती हैं। इस दिन कजरी गीत गाने की विशेष परंपरा है, उत्तर प्रदेश और बिहार में लोग ढोलक की थाप पर कजरी गीत गाते हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था। इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए। इससे कुंवारी कन्याओं को अच्छा वर प्राप्त होता है, साथ ही सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। वास्तव में तीज का संबंध शीघ्र विवाह से ही है। अविवाहित कन्याओं को इस दिन उपवास रखकर गौरी की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए, ऐसा करने से कुंडली में कितने भी बाधक योग क्यों न हों, इस दिन की पूजा से नष्ट किए जा सकते हैं, लेकिन इसका सम्पूर्ण लाभ तभी होगा, जब अविवाहिता इस उपाय को स्वयं करें।

इस दिन उपवास रखना चाहिए तथा श्रृंगार करना चाहिए, श्रृंगार में मेहंदी और चूड़ियों का जरूर प्रयोग करना चाहिए। सायं काल शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करनी चाहिए। कजरी तीज पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। चंद्रोदय के बाद भोजन करके व्रत तोड़ते हैं। पूजा में घी का बड़ा दीपक जलाना चाहिए। संभव हो तो मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

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