अद्धयात्म

काल भैरव जयंती 2018: बस एक बार कर लें काल भैरव स्तोत्र का पाठ, सभी बुरे ग्रहों से मिल जाएगी मुक्ति

काल भैरव जयंती 2018 में 29 नवंबर 2018, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। काल भैरव जयंती पर काल भैरव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान काल भैरव प्रसन्न होते हैं। काल भैरव को भगवान शिव का एक स्वरूप माना जाता हैं। काल भैरव पूजन काल भैरव जयंती के दिन करना आवश्यक होता हैं।

काल भैरव जयंती 2018: बस एक बार कर लें काल भैरव स्तोत्र का पाठ, सभी बुरे ग्रहों से मिल जाएगी मुक्तिइस दिन भगवान काल भैरव की उपासना करने से राहु-केतु समेत नवग्रहों शांत हो जाते हैं। काल भैरव की तांत्रिक उपासना अर्धरात्रि में की जाती हैं। लेकिन जो जातक केवल उन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजन करते हैं वो दोपहर 02:57 से 04:18 तक पूजा कर सकते हैं। इस स्टोरी में जानें काल भैरव स्तोत्र-

काल भैरव स्तोत्र

ॐ महाकाल भैरवाय नम:

जलद् पटलनीलं दीप्यमानोग्रकेशं,

त्रिशिख डमरूहस्तं चन्द्रलेखावतंसं!

विमल वृष निरुढं चित्रशार्दूळवास:,

विजयमनिशमीडे विक्रमोद्दण्डचण्डम्!!

सबल बल विघातं क्षेपाळैक पालम्,

बिकट कटि कराळं ह्यट्टहासं विशाळम्!

करगतकरबाळं नागयज्ञोपवीतं,

भज जन शिवरूपं भैरवं भूतनाथम्!!

भैरव स्तोत्र (Bhairav Stotra)

यं यं यं यक्ष रूपं दशदिशिवदनं भूमिकम्पायमानं।

सं सं सं संहारमूर्ती शुभ मुकुट जटाशेखरम् चन्द्रबिम्बम्।।

दं दं दं दीर्घकायं विकृतनख मुखं चौर्ध्वरोयं करालं।

पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।1।।

रं रं रं रक्तवर्ण कटक कटितनुं तीक्ष्णदंष्ट्राविशालम्।

घं घं घं घोर घोष घ घ घ घ घर्घरा घोर नादम्।।

कं कं कं काल रूपं घगघग घगितं ज्वालितं कामदेहं।

दं दं दं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।2।।

लं लं लं लम्बदंतं ल ल ल ल लुलितं दीर्घ जिह्वकरालं।

धूं धूं धूं धूम्र वर्ण स्फुट विकृत मुखं मासुरं भीमरूपम्।।

रूं रूं रूं रुण्डमालं रूधिरमय मुखं ताम्रनेत्रं विशालम्।

नं नं नं नग्नरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।3।।

वं वं वं वायुवेगम प्रलय परिमितं ब्रह्मरूपं स्वरूपम्।

खं खं खं खड्ग हस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करम् भीमरूपम्।।

चं चं चं चालयन्तं चलचल चलितं चालितं भूत चक्रम्।

मं मं मं मायाकायं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।4।।

खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं काल कालांधकारम्।

क्षि क्षि क्षि क्षिप्रवेग दहदह दहन नेत्र संदिप्यमानम्।।

हूं हूं हूं हूंकार शब्दं प्रकटित गहनगर्जित भूमिकम्पं।

बं बं बं बाललील प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्।।5।।

ॐ तीक्ष्णदंष्ट्र महाकाय कल्पांत दहन प्रभो!

भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातु महर्षि!!

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