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किस तरह हो रही सरकारी वकीलों की नियुक्ति : न्यायालय

ahलखनऊ। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप और मनमानापन रोकने के लिए दायर पीआईएल में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई तीन जनवरी 2०14 को होगी। न्यायाधीश इम्तियाज मुर्तजा और न्यायाधीश डी के उपाध्याय की पीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय तथा विभिन्न ट्रिब्यूनल में वर्तमान में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति किस प्रकार की जा रही है। डॉ ठाकुर के अनुसार सरकारी अधिवक्ता उच्चतर न्यायालयों में राज्य के विधिक हितों की रक्षा करने का अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील कार्य करते हैं। लेकिन इसके बावजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता से स्थायी अधिवक्ता तक सभी पदों पर पूरी तरह अंधेरगर्दी और रहस्यमयता है। इन पदों की संख्या तक नि>ित नहीं है। ये सारी नियुक्तियां छिपे तौर-तरीके से राजनीतिक आधार पर की जाती हैं। इन अधिवक्ताओं का न तो कोई ड्यूटी चार्टर है न कार्य मूल्यांकन व्यवस्था और न जवाबदेही। इतने सरकारी अधिवक्ता होने के बाद भी राज्य सरकार सरकारी धन का अपव्यय करते हुए अक्सर लाखों फीस देकर विशेष अधिवक्ता नियुक्त करती है जिन्हें तत्काल समाप्त किया जाना आवश्यक है।

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