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क्या आप जानते है हमारे तिरगें को किसने बनाया था

राष्‍ट्रध्‍वज किसी भी देश की आन बान और शान होता है। देश की सरहद पर खड़ा सैनिक हंसते-हंसते अपने देश की आन बचाने के लिए जान दे देता है। किसी कवि सरहद पर खड़े सैनिक की भावनाओं को शब्‍दों का रूप देते हुए कहा है शम्‍मये वतन की लो पर जब कुर्बान पतंगा हो होठों पर गंगा हो हाथों में तिरंगा हो। आज हम आप को उस व्‍यक्ति से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिसने तिरंगे को बनाया था। जिसने तिरंगे में रंगों को भरा।
महात्‍मा गांधी से मुलाकात के बाद लौटे भारत
दो अगस्‍त 1876 को आंध्रप्रदेश में मछलीपत्‍तनम के निकट एक गांव में एक बालक का जन्‍म हुआ था। यह बालक 19 साल की उम्र में वो ब्रिटिश आर्मी में सेना नायक बन गया। दक्षिण अफ्रीका में एंग्‍लो-बोअर युद्ध के दौरान इस बालक की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई जिसके बाद वह हमेशा के लिए भारत लौट आया। भारत आने के बाद वो बालक स्‍वतंत्रता संग्राम का हिस्‍सा बना और वह स्‍वतंत्रता सेनानी बन गया। इस बालक का नाम था पिंगाली वैंकैया जिसने 45 साल की उम्र में भारत के राष्‍ट्रध्‍वज तिरंगे का निर्माण किया था।


45 साल की उम्र में किया था तिरंगे का निर्माण
1916-21 तक पिंगाली ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर अध्ययन किया। 45 साल की उम्र में जब पिंगाली ने तिरंगे का डिजाइन तैयार किया उस समय लाल रंग हिन्दुओं के लिए, हरा मुस्लिमों के लिए, सफेद रंग बाकी धर्मों के लिए रखा। झंडे में चरखा प्रगति के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल हुआ था। 1931 को तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव पारित हुआ। संशोधन के साथ इस तिरंगे से लाल रंग हटा कर केसरिया रंग इस्तेमाल हुआ। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपना लिया गया। कुछ समय बाद संशेधन के जरिए चरखे को हटा कर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को झंडे में शामिल किया गया।

मौत के 46 सालों बाद मिला पिंगाली को सम्‍मान
पिंगाली वेंकैया देश के निर्माण में इतने महत्वपूर्ण योगदान के बाद भी गुमनाम रहे। गरीबी की हालत में 1963 में पिंगाली वेंकैया का विजयवाड़ा में एक झोपड़ी में देहांत हो गया। सालों बाद मिला पिंगाली वैंकैया के सम्मान में साल 2009 में एक डाक टिकट जारी हुआ जिस पर पिंगाली की फोटो छपी थी। जनवरी 2016 में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने विजयवाड़ा के ऑल इंडिया रेडियो बिल्डिंग में उनकी प्रतिमा स्थापित की। तिरंगे को देख कर हमारी आंखें गर्व से भर जाती हैं। इसकी आन के लिए सरहदों पर जवान हंसते-हंसते शहीद हो जाते हैं। तिरंगा हर भारतीय के दिल में बसता है। तिरंगा भारतीय सैनिकों का शौर्य होता है।

 

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