अद्धयात्म

क्यों करते हैं नवरात्र में मां दुर्गा की आरती

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के बाद आरती अवश्य करना चाहिए. बिना आरती के पूजा को अपूर्ण माना जाता है. मां दुर्गा की पूजा में आरती का विशेष महत्व है.

क्यों करते हैं नवरात्र में मां दुर्गा की आरती

उत्तर स्कंद पुराण में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की विधि नहीं जानता, लेकिन आरती कर लेता है तो देवी-देवता उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं.

आरती का धार्मिक महत्व होने के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है. जब रुई के साथ घी और कपूर की बाती जलाई जाती है तो एक अद्भुत सुगंध वातावरण में फैल जाती है. इससे आस-पास के वातावरण में मौजूद नकारत्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है.

ऐसी मान्यता है कि आरती में बजने वाले शंख और घंटी के स्वर के साथ जब मां भगवती का ध्यान करके आरती गाई जाती है तो मन में चल रहे द्वंद का समाप्त होने लगते हैं और हमारे शरीर में सोई आत्मा जागृत हो जाती है, जिससे मन और शरीर ऊर्जावान हो उठता है और ऐसा महसूस होता है कि मां की कृपा मिल रही है.

मां दुर्गा की आरती करते समय किन बातों का ख्याल रखें

रुई की बत्तियां बनाकर घी में उन्हें डाल दें, घी से निकाल कर विषम संख्या (जैसे 3, 5 या 7) में रुई की बत्तियां दीपक में रख कर जलाएं. एक थाली या प्लेट में दीपक को रख लें, साथ में पुष्प और कपूर भी रख लें. घर में आप एक बत्ती बना कर भी आरती कर सकते हैं. पूजा स्थानों में पांच बत्तियों से आरती की जाती है, जिसे पंच प्रदीप भी कहते हैं. शंख, घण्टा आदि बजाते हुए मां की आरती करें.

आरती की थाली मां दुर्गा की मूर्ति के समक्ष ऊपर से नीचे गोलाकार घुमाएं. यानी घड़ी की सुई की दिशा में आरती घुमाना चाहिए.

आरती करने के कई लाभ

यदि मां के पूजन में जो त्रुटि रह जाती है, तो आरती से उसकी पूर्ति हो जाती है.

आरती हो जाने के बाद दोनों हथेलियों को ज्योति ऊपर कुछ क्षण रख कर स्पर्श अपने मस्तक, नाक, कान आंख, मुख पर करें ज्योति के उपर कुछ क्षण हथेली रखने से हमारे हाथों में कुछ मात्रा में तेज तत्व आ जाता है.

आरती करने का ही नहीं, आरती देखने का भी बहुत बड़ा पुण्य है. जो मां दुर्गा की आरती देखता है और दोनों हाथों से आरती लेता है, उसकी मनोकामनाएं मां पूरा करती हैं.

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए आरती की थाल में क्या क्या रखें

थाली में दीपक के अलावा कपूर, पूजा के फूल, धूप-अगरबत्ती, चावल अवश्य रखना चाहिए.

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