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क्यों खरीदी जाती है धनतेरस पर झाड़ू, जानिए क्या है इस परंपरा के पीछे का कारण

25 अक्तूबर को पांच दिवसीय महापर्व का पहला त्योहार धनतेरस है। यह दीपावली के एक दिन पहले झाड़ू खरीदने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि धनतेरस पर खरीदी गई वस्तु जल्द खराब नहीं होती बल्कि उसमें तेरह गुना वृद्धि और हो जाती है। इसलिए लोग धनतेरस पर सोना, चांदी, भूमि, वाहन और बर्तन इत्यादि चीजों की खरीदारी करते हैं।

अन्य वस्तुओं की तरह इस दिन झाड़ू खरीदने की भी अनोखी परंपरा रही है और जो लोग सोना-चांदी या उससे बने गहने खरीदने में असमर्थ होते है वो एक झाड़ू अवश्य खरीदते हैं। धनतेरस के दिन हर घर में एक नई झाड़ू जरूर मिलेगी। मत्स्य पुराण के अनुसार झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है वहीं बृहत संहिता में झाड़ू को सुख-शांति की वृद्धि करने वाली और दुष्ट शक्तियों का सर्वनाश करने वाली बताया है। झाड़ू को घर में दरिद्रता को हटाने का कारक बताया गया है और इसके इस्तेमाल से मनुष्य की दरिद्रता भी दूर होती है। साथ ही इस दिन घर में नई झाड़ू से झाड़ लगाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।

झाड़ू को लेकर चर्चित कथा

1. झाड़ू के चलते हुई द्रौपदी की शादी
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत में झाड़ू से अर्जुन-द्रौपदी की शादी होने, दुर्बलता से शक्ति प्राप्त करने और धनाढ्य होने की कहानी को बताया है। दंत कथाओं के अनुसार द्रौपदी की शादी अर्जुन से नहीं हो पा रही थी तब एक टोटका किया गया था और जिसके बाद घर में झाड़ू से झाड़ लगायी गयी। माना जाता है कि इसके बाद ही द्रौपदी और अर्जुन की शादी हो गयी थी।

2. झाड़ू खड़ा रखने से शत्रु बाधा पैदा करते हैं
शुरु से ही झाड़ू को घर में छिपा कर रखने और सही स्थान पर रखने की परंपरा रही है। मान्यता यह भी है कि झाड़ू को खड़ा रखने से शत्रु बाधा उत्पन्न करते है। इसलिए झाड़ू को लिटा कर या छुपा कर रखा जाता है जिससे दुष्ट शक्ति और शत्रुओं की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती है।

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