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चीन-पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ रची सबसे बड़ी साजिश

img_20161001124718आखिर CHINA ने PAKISTAN के साथ मिलकर INDIA के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश को अंजाम दे ही दिया। इससे करोड़ों भारतीयों की जिंदगी खतरे में पड़ी।

चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी का पानी रोक दिया है, वह यहां एक हाईड्रो प्रॉजेक्ट लगा रहा है। भारत के लिए यह बेहद चिंता की बात है क्योंकि चीन के इस कदम से भारत समेत कई देशों में ब्रह्मपुत्र के पानी के बहाव पर सीधे असर पड़ेगा।
चीन ने यह काम ऐसे वक्त में किया है जब उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सिंधु जल समझौते के तहत होने वाली बैठक रद्द कर दी थी। साथ ही इस समझौते की समीक्षा करने का भी फैसला किया था। भारत ने यह फैसला पाक पर दबाव बनाने के लिए किया था। ऐसे में चीन का ताजा रुख इस आशंका को बढ़ावा देता है कि कहीं वह पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत पर जवाबी दबाव तो नहीं बना रहा।
तिब्बत में यारलुंग जेंगबो नाम से जाने जाने वाली ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी पर चीन ने यह प्रॉजेक्ट लगाया है। चीन ने इस पर करीब 750 मिलियन यूएस डॉलर का निवेश किया है। यह जानकारी चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने प्रॉजेक्ट एडिमिनिस्ट्रेशन ब्यूरो के प्रमुख के हवाले से दी है। यह प्रॉजेक्ट तिब्बत के जाइगस में है। यह जगह सिक्किम के नजदीक पड़ता है। जाइगस से ही ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में बहते हुए दाखिल होती है।
चीन ने इसे अपना सबसे महंगा प्रॉजेक्ट बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रॉजेक्ट साल 2014 में शुरू हुआ था और इसके 2019 में पूरा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह पता नहीं चल पाया है कि पानी रोकने से भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में ब्रह्मपुत्र के बहाव पर क्या असर पड़ेगा? बता दें कि पिछले साल चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र में डेढ़ बिलियन की लागत वाला सबसे बड़ा हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट शुरू किया था। इस पर भारत ने चिंता जताई थी। हालांकि, चीन यह कहता रहा है कि उसे भारत की चिंताओं के बारे में पता है। चीन के 12वीं पंचवर्षीय योजना से इस बात के संकेत मिलते हैं कि तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीन तीन और हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट लाने वाला है।
इस साल मार्च में केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री सांवर लाल जाट ने कहा था कि भारत ने बांधों की वजह से होने वाले असर को लेकर चीन के सामने अपनी चिंताएं रखी हैं। भारत और चीन के बीच कोई जल समझौता नहीं है। हालांकि, दोनों देशों ने सीमा के दोनों ओर बहने वाली नदियों को लेकर एक्सपर्ट लेवल मेकेनिजम बनाया है। 2013 में दोनों देशों ने नदियों पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर भी हस्ताक्षर किए थे।
 

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