अन्तर्राष्ट्रीय

जापान के बाद अब अमेरिका के साथ युद्धाभ्यास की तैयारी में भारत

पिछले महीने बंगाल की खाड़ी में जापान के साथ अभ्यास के बाद भारत अब अमेरिका के साथ युद्ध अभ्यास की तैयारी कर रहा है. जापान के साथ इंडियन नेवी ने मालाबार एक्सरसाइज किया था. बताया जा रहा है कि भारत और अमेरिका आने वाले सितंबर (14-27) में युद्ध अभ्यास कर सकते हैं.

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जापान के बाद अब अमेरिका के साथ युद्धाभ्यास की तैयारी में भारतचीन को मैसेज देने की कोशिश?

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, भारत और अमेरिका अपने “रणनीतिक साझेदारी और अभिसरण” के भाग के रूप में अपने द्विपक्षीय सैन्य अभ्यासों की गुंजाइश, जटिलता और आवृत्ति को लगातार बढ़ा रहे हैं. भले ही भारत अभी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता और विस्तारवाद का मुकाबला करने के लिए किसी औपचारिक सुरक्षा में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है. पर इस तरह के अभ्यास को जारी रखा जा रहा है. बता दें कि डोकलाम सीमा विवाद को लेकर फिलहाल भारत और चीन में तनाव चरम पर है.

हाल में अमेरिका ने क्या कहा था?

संयोग से, रक्षा और राज्य के अमेरिकी विभाग, हाल ही में उनके कांग्रेस के संयुक्त रिपोर्ट में, ने कहा, “हम इस क्षेत्र के लिए हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण पर भारत के साथ बढ़ते हुए अभिसरण को देखते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत-एशिया-प्रशांत क्षेत्र से परे हम भारत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोगी के रूप में देखते हैं.

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अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करने की कोशिश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जून में ही भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की कसम खाई थी. एक सीनियर अफसर ने कहा कि निश्चित रूप से कुछ आशंकाएं थीं, लेकिन द्विपक्षी रक्षा और सुरक्षा सहयोग को ऊपर की ओर बढ़ाने के लिए कई बुनियादी बातें हैं.

कहां और कैसे होगा अमेरिका के साथ युद्ध अभ्यास?

युनाइटेड बेस लुईस-मैककॉर्ड में 14 सितंबर से 27 सितंबर तक अमेरिका में आयोजित युद्ध अभ्यास कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा. बता दें कि गोरखा राइफल्स के 200 से अधिक भारतीय सैनिक युद्ध अभ्यास के तहत “बटालियन स्तर के क्षेत्रीय प्रशिक्षण अभ्यास में भाग लेंगे.  दोनों देशों को और अधिक जटिल, संयुक्त हथियार, डिविजन लेवल एक्सेसाइज को अपग्रेड करना है और इसी पर फोकस होगा.एक अधिकारी ने कहा, “इस अभ्यास से बटालियन और कंपनी स्तर पर दोनों सेनाओं के बीचआंतरिक क्षमता बढ़ जाएगी. इससे भारतीय सेना सिद्धांतों, युद्ध के अभ्यास और यूएस सेना की प्रक्रियाओं को समझने में भी मदद करेगी.”

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