National News - राष्ट्रीयTOP NEWS

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा, निजी मसला है सेक्स चयन

dattatreya-hosabale_landscape_1458279007एजेन्सी/देशद्रोह से लेकर भारत माता की जय के नारे पर छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का बड़ा बयान आया है। एक कार्यक्रम में संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा है कि समलैंगिकता अपराध नहीं है।

उन्होंने कहा कि सेक्स चयन किसी भी व्यक्ति की निजी आजादी का मसला है। किसी व्यक्ति का सेक्स चयन तब तक अपराध की श्रेणी में नहीं आना चाहिए, जब तक वह किसी दूसरे व्यक्ति के निजी जीवन पर कोई असर ना डाले।

होसबोले ने कहा कि सेक्स चयन बेहद व्यक्तिगत मामला है। किसी सार्वजनिक मंच पर आरएसएस इसे लेकर अपने विचार क्यों रखे? आरएसएस में ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं होती और ना ही हम ऐसी कोई चर्चा करना चाहते हैं।

हालांकि इस बयान पर विवाद बढ़ते ही दत्तात्रेय होसबोले ने सफाई देते हुए कहा कि उनका कहने का मतलब था कि समलैंगिंक संबंधों पर कोई सजा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे समाज में समलैंगिंक शादियों के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से इस बयान पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।

वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी सरकार को रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित करने की बात को खारिज करते हुए कहा कि जरूरत पड़ने पर वह सरकार को ‘संकेत’ भेजता है। उसने यह भी कहा कि लोकतंत्र में किसी भी अन्य संगठन की तरह सरकार को सुझाव देना उसका भी अधिकार है। संघ इस बात को लेकर गर्व महसूस करता है कि संगठन से जुड़े दो लोग अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने।

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि सरकार पर कोई नियंत्रण नहीं है। निश्चित तौर पर रिमोट वहां है। भाजपा या किसी भी अन्य दल पर संघ का कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है। संघ के स्वयंसेवक सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और वे भाजपा में शामिल होते हैं। भाजपा भी संघ के कुछ विचारों से प्रभावित है और सार्वजनिक जीवन में नेता इससे प्रेरणा लेते हैं।

उन्होंने कहा कि अगर परिवार के सदस्य सुझाव के लिए संघ के पास आते हैं तो क्या यह रिमोट कंट्रोल है या फिर यह उनका जुड़ाव है। उन्होंने कहा कि इस मामले में भाजपा को कोई शिकायत नहीं है और न ही संघ की कोई इच्छा है। वर्तमान सरकार में संघ के गैर-संवैधानिक प्राधिकार होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कहां गैर-संवैधानिक प्राधिकार है। हम कोई लुका-छिपी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघ की बैठक में प्रस्तुतीकरण देना गलत नहीं है। अगर वे संघ के समक्ष प्रस्तुतीकरण देते हैं तो वे इस कार्यक्रम में भी प्रस्तुतीकरण दे सकते हैं। यही लोकतंत्र है।

 

Related Articles

Back to top button