स्वास्थ्य

दवाओं से दूर रहना चाहते हैं तो ये 10 घरेलू नुस्खें हैं बहुत काम के

health-08-10-2016-1475910682_storyimageशहरी जीवन और व्यस्त होने के चलते हेल्थ से जुड़ी छोटी-छोटी दिक्कतों से निपटने के लिए भी हमारे पास वक़्त नहीं होता। ऐसे में हम हर बात पर दवाएं खाना शुरू कर देते है जो तभी तो उस दिक्कत से राहत दे देती है लेकिन बाद में आपके शरीर पर कई प्रतिकूल प्रभाव छोड़ती है। आज Livehindustan.com आपके लिए 10 ऐसे घरेलू नुस्खें लाया है जो आपको रोजमर्रा की जिंदगी में दवाओं से दूर रखने में मदद करेंगे…

1. खराश या सूखी खांसी के लिये अदरक और गुड़
गले में खराश या सूखी खांसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। आराम मिलेगा।

2. दमे के लिये तुलसी और वासा
दमे के रोगियों को तुलसी की 10 पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग 21 दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है।

3. भूख नहीं लगती तो मुनक्का हरड़ और चीनी
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें) , हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पांच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।

4. मौसमी खांसी के लिये सेंधा नमक
सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएं। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खांसी, विशेषकर बलगमी खांसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है।

5. बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल
10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल-दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों चीजें मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, मांसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।

6. बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुंह में रखकर सो जाएं। प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।

7. फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।

8. सर्दी बुखार और सांस के पुराने रोगों के लिये तुलसी
तुलसी की 21 पत्तियां स्वच्छ खरल या सिलबट्टे ( जिस पर मसाला न पीसा गया हो ) पर चटनी की तरह पीस लें और से 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन महीने तक खाएं। याद रहे कि दही खट्टी न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक – दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे के बाद नाश्ता ले सकते हैं ।

9. मुंह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियां और सूखी खांसी दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।

10. जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रस
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक – चीनी आदि कुछ न मिलाएं। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो – दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

 
 
 

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