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देश में कम हो रहा है काला धन, पर अब भी थाइलैंड की अर्थव्यवस्था से ज्यादा

black-moneyएजेंसी/ नई दिल्ली
देश में काले धन पर शिकंजे को लेकर अलग-अलग दावे होते रहते हैं। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च के मुताबिक, भारत की यह ‘काली अर्थव्यवस्था’ 30 लाख करोड़ से भी ज्यादा है, जो कि देश की कुल जीडीपी का लगभग 20 फीसदी है। हालांकि काले धन का विस्तार बीते कुछ दिनों में कम हुआ है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यह अब भी थाइलैंड और अर्जेंटीना जैसे देशों की अर्थव्यवस्था से कहीं ज्यादा है।

ऐंबिट कैपिटल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, काले धन के खिलाफ सरकार की पहल के चलते इस ब्लैक इकॉनमी में लेन-देन की कीमतें काफी ऊंची हो गई हैं। काले धन पर ब्याज दर जो पहले 24 फीसदी के आसपास हुआ करती थी, वह अब 34 फीसदी हो गई है।

‘ब्लैक इकॉनमी’ से सीधा मतलब उन आर्थिक गतिविधियों से होता है, जो किसी औपचारिक बैंकिंग सिस्टम के जरिए नहीं होती हैं। इसमें लेन-देन सीधे तौर पर कैश, सोना और प्रॉपर्टी के रूप में होता है। स्टडी के मुताबिक देश में काले धन का अधिकांश हिस्सा प्रॉपर्टी और सोने के रूप में है।

स्टडी के मुताबिक काले धन के खिलाफ उठाए गए कदमों के कई अप्रत्याशित परिणाम सामने आए हैं। जिसके चलते बैंकिंग सिस्टम के जरिए लेन-देन की अपेक्षा अब कैश में लेन-देन होने लगा है। इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ रहा है और अनुमान है कि इसके चलते जीडीपी ग्रोथ रेट इस साल भी यह सामान्य ही रहेगी।

स्टडी में कहा गया है कि भारत की यह ब्लैक इकॉनमी 1970 और 1980 के दशक में तेजी से बढ़ी, लेकिन फिर इसमें धीरे-धीरे गिरावट देखने को मिली। हालांकि आज यह काला धन देश की कुल जीडीपी का 20 फीसदी हो गया है।

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