फीचर्डराष्ट्रीय

नेपाल से हमारे संबंध हिमालय जितने पुराने : मोदी

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का गुरुवार को नई दिल्ली में भव्य स्वागत किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में उनकी अगुवाई की। नेपाली पीएम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। आपको बता दे कि इस दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने साझा वार्ता को संबोधित किया। द्विपक्षीय वार्ता में भारत और नेपाल के बीच करार भी हुए। दोनों देशों के बीच करार हुआ है कि भारत नेपाल में 50 हजार घर बनाएगा। साझा वार्ता के दौरान पीएम मोदी ने कहा भारत को नेपाल के विकास और आर्थिक प्रगति के प्रयासों में साझीदार होने का सौभाग्य प्राप्त है। पीएम ने कहा कि भारत और नेपाल के संबंध हिमालय जितने पुराने है। साझा वार्ता के दौरान पीएम ने कहा कि आज प्रधानमंत्री देउबा और मैंने, दोनों देशों की साझेदारी की असीम संभावनाओं पर बहुत विस्तार से और बहुत सकारात्मक बातचीत की है। हम अपनी आर्थिक साझेदारी के विभिन्न आयामों, जैसे ऊर्जा, जल संसाधन, कनेक्टिविटी परियोजनाएं के कार्यों में साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि नेपाल का संविधान सभी लोगों के हितों का ख्याल रख कर लागू किया जाएगा। पीएम ने कहा नेपाल में आई बाढ़ के संदर्भ में बात करें, तो मैंने भारत की तरफ से हर संभव सहायता का प्रस्ताव फिर दोहराया है।

पीएम ने कहा कि देउबा जी ने मुझे बताया कि अरुण III के लिए जमीन का मुद्दा हल हो चुका है, मैं नेपाल के उद्घाटन के लिए मुझे आमंत्रित करने के लिए उनका धन्यवाद करता हूं। पीएम ने कहा कि नेपाल की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए, नेपाल के विकास में अपनी साझेदारी बढ़ाने के लिए, भारत पूरी तरह प्रतिबद्ध है। पीएम ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारी आज की चर्चा और जिन समझौतों पर हमने सहमति जताई है, वो हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचालन करेंगे। आपको बता दे कि देउबा का यह दौरा भारत और चीन के बीच डोकलाम में जारी गतिरोध के बीच हो रहा है, जिससे भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा है। देउबा के जून में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद यह उनका पहला विदेश दौरा है इससे पहले चीन के उपप्रधानमंत्री वांग यांग नेपाल गए थे। जहां दोनों के बीच ऊर्जा और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने को लेकर कई प्रमुख समझौते हुए थे। बता दें कि नेपाल भारत और चीन दोनों का पडोसी है। अगर वह डोकलाम मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है तो चीन को बड़ा झटका लग सकता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चीन की किरकिरी हो सकती है।

Related Articles

Back to top button