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पंजाब के 12 गांवों के किसान अब नहीं जलाते पराली, बनें ‘जीरो बर्निंग’ मुहिम का हिस्सा

मनासा: एक तरफ ज्यादातर किसान धान की पराली को मजबूरी बता पराली को आग लगा रहे हैं. वहीं मानसा जिले में ऐसे भी काफी किसान मौजूद हैं जो बिना किसी सहायता के कई वर्षों से पराली को आग ना लगा पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहयोग डाल रहें हैं. जबकि जिले के 12 गांवों के किसानों ने भी पराली को ना जला कर प्रशासन की ‘जीरो बर्निंग’ मुहिम का हिस्सा बनने का फैसला किया है. इसको लेकर जिला प्रशासन इन किसानों और क्लबों को सम्मानित करने जा रहा है.

मानसा जिला प्रशासन ने जिले में 12 ऐसे गावों की निशानदेही की है, जिनके निवासियों ने पराली ना जला कर प्रशासन की जीरो बर्निंग मुहिम में सहयोग कर रहे हैं. इनमें शामिल गांव घरांगना के किसानों ने बीते वर्ष भी सूझवान, तकनीकी और पर्यावरण मित्र होने का सबूत देते हुए पराली को आग नहीं लगाई गई थी. जिस करण गांव का चुनाव जीरो बर्निंग के लिए किया गया है. गांव घरांगना के किसान बलविंदर सिंह और दर्शन सिंह ने बताया कि हमारे गांव में पराली जलाने का रूझान कम है.

गांव घरांगना के इलावा जिले के कई अन्य गांवों के किसान भी प्रशासन की पराली ना जलाने की अपील से सहमति हो इस वर्ष ही नहीं बल्कि पिछले कई वर्षों से पराली को आग नहीं लगा रहें हैं. किसान सुखजीत सिंह और निर्मल सिंह ने कहा कि वो पिछले चार वर्ष से पराली को जलाने की बजाए खुद सांभ संभाल कर रहा है. उन्होंने कहा कि वो किराए पर मशीनरी का इस्तेमाल कर गेंहू की बुबाई कर रहा है. 

किसानों द्वारा मजबूरी बता कर पराली जलाने की बात को सुखजीत सिंह ने लापरवाही बताते हुए कहा कि उनके पास कोई मशीनरी नहीं है फिर भी वो किराए पर मशीनरी लेकर खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पराली ना जलाने से उनकी जमीन की हालत सुधरी है. उन्होंने कहा कि मुझे देख मेरे गांव के कुछ किसान मेरी तकनीक को अपना रहे हैं. पिछले 6 वर्षों से धान की पराली को आग न लगाने वाले किसान निर्मल सिंह दावा जताते हैं कि इससे उनकी जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ने के साथ ही पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है.

जिला प्रशासन ने किसानों को धान की पराली न जलाने के लिए जागरूक करने के लिए गांव में क्लबों का सहयोग हासिल किया गया था. साथ ही किसानों को सीधी बिजाई के लिए मशीनरी उपलब्ध कराएं. डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने उम्मीद जताई कि चुने गए 12 गांवों के किसानों द्वारा करीब दस हजार एकड रकबे में पराली नहीं जलाई जाएगी. वहीं, उन्होंने कहा कि किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए प्रेरित करने वाले क्लबों और किसानों को प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाएगा.

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