अन्तर्राष्ट्रीय

पनामा पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज परिवार पर कसा शिकंजा, बढ़ी मुश्किले…

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके परिवार पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर लीक मामले की जांच के लिए संयुक्त जांच समिति का गठन किया था, जो नवाज और उनकी बेटी व बेटों से मामले में पुछताछ कर रही थी। जेआईटी ने नवाज की बेटी मरियम पर जालसाजी का आरोप लगाया है। नवाज और उनके परिवार पर बढ़ता विवाद भारत के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में सेना हमेशा से सत्ता पर भारी रही है। अगर नवाज शरीफ के हाथ से सत्ता जाती है तो यह पाकिस्तानी सेना की मजबूती होगी पाकिस्तानी सेना `ऐसे मौके पर भारतीय सीमा पर मुश्किले खड़ी कर सकती है। 

उल्लेखनीय है कि 15 जून को जेआईटी की ओर से की गई पुछताछ में नवाज सवालों के जवाब देने में असमर्थ नजर आए। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि पुछताछ के दौरान उनका ज्यादातर बयान अफवाहों पर आधारीत लगा। बता दें कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ जांच कर रही सयुंक्त जांच समिति (जेआईटी) ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ इस रिपोर्ट की जांच करेगी और उसके बाद फैसला आ सकता है। पनामा गेट में पीएम नवाज और उनके परिवार का नाम सामने आने के बाद वे सवालों में घिरे हुए हैं।

नवाज ने विरोधियों को दिया करारा जवाब

पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के मुताबिक नवाज कड़े रुख के जरिए विपक्षियों को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैंने और मेरे परिवार ने जांच में पूरा सहयोग करते हुए सभी फाइनेंसियल जानकारियां जेआईटी मुहैया करा दी है। यहां तक कि इसमें मेरे जन्म से पहले की भी ट्रांसजेक्शन्स भी शामिल हैं। 

बता दें कि जेआईटी ने इस मामले में कई मौजूदा एवं पूर्व अधिकारियों की भी जांच की है। उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों वाली विशेष पीठ में जस्टिस एजाज अफजल, जस्टिस अजमत सईद और जस्टिस इजाहुल अहसन शामिल हैं, जो अंतिम रिपोर्ट की जांच करके आगे का फैसला लेंगे।

पिछले साल पनामा पेपर्स में यह खुलासा किया गया था कि प्रधानमंत्री शरीफ के तीनों बच्चों की विदेशों में कंपनियां और संपत्ति हैं, जिन्हें उनके परिवार की संपत्ति के विवरण में दिखाया नहीं गया है। इस संपत्ति में लंदन के पार्क लेन में स्थित चार महंगे फ्लैट भी शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, आवामी मुस्लिम लीग और जमात-ए-इस्लामी की ओर से दायर याचिकाओं पर पिछले साल अक्तूबर में यह मामला उठाया था। 

 

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