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‘भारत की वजह से परमाणु हथियारों को विकसित कर रहा है चीन’

china3एजेंसी/ वॉशिंगटन। पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका, रूस और भारत की रक्षा क्षमताएं उन प्रमुख कारकों में से एक हैं, जो चीन को उसकी परमाणु ताकत और हमला बोलने की रणनीतिक क्षमताओं के आधुनिकीकरण के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

कांग्रेस को सौंपी गई चीन की परमाणु क्षमता से जुड़ी एक रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा कि चीन क्षेत्र की विभिन्न इकाइयों में नियंत्रण सुधारने के लिए अपनी परमाणु ताकतों के नियंत्रण और संचार क्षमताओं को तैनात कर रहा है।

पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका, रूस और भारत की रक्षा क्षमताएं उन प्रमुख कारकों में से एक हैं, जो चीन को उसकी परमाणु ताकत और हमला बोलने की रणनीतिक क्षमताओं के…
रिपोर्ट में कहा गया कि चीन इस बात पर जोर देता है कि नई पीढ़ी की मोबाइल मिसाइलों आदि का उद्देश्य दरअसल अमेरिका और कुछ हद तक रूस की रणनीतिक आईएसआर (खुफिया जानकारी, निरीक्षण और टोही क्षमताओं), सटीक हमले और मिसाइल रक्षा क्षमताओं में लगातार विस्तार के चलते अपनी रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता का विकास सुनिश्चित करना है।

पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘इसी तरह भारत की परमाणु ताकत चीन की परमाणु क्षमता के आधुनिकीकरण के पीछे की अतिरिक्त चालक है।’ रिपोर्ट में कहा गया कि संशोधित संचार संपर्कों में इस्तेमाल के जरिए, आईसीबीएम (अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल) इकाइयों की अब युद्धक सूचना और सभी कमानों की टोलियों को जोड़ने वाले निर्बाधित संचार तक पहुंच है। पेंटागन के अनुसार, चीन अमेरिका और अन्य देशों की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों से निपटने के लिए कई प्रौद्योगिकियों का विस्तार कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने यह बात स्वीकार की है कि उसने वर्ष 2014 में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन का परीक्षण किया था। देश के आधिकारिक मीडिया में भी पीएलएएसएएफ (पीपल्स लिबरेशन आर्मी सेकेंड आर्टिलरी फोर्स) के प्रशिक्षण अभ्यासों से जुड़ी खबरें कई बार सामने आईं। इन प्रशिक्षण अभ्यासों में युद्धक स्थितियों के दौरान के ऐसे प्रक्षेपण अभियान, कौशल आदि शामिल थे जिनका उद्देश्य वहनीयता बढ़ाना है।

नई पीढ़ी की मिसाइलों की बढ़ी हुई गतिशीलता और वहनीयता के साथ ये प्रौद्योगिकियां और प्रशिक्षण में बढ़ोतरी चीन की परमाणु शक्ति को मजबूत करती हैं और हमले की रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ावा देती हैं।

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