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भारत-मलेशिया के साथ आने से इन 7 चीजों से टूटेगी चीन-पाकिस्तान की कमर!

मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब अब्दुल रजाक शनिवार को भारत पहुंचे। इस दौरान हैदराबाद हाउस में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई। मलेशियाई प्रधानमंत्री ने इसकी तस्वीर भी ट्विटर पर शेयर की और लिखा, ‘दोनों देशों के बीच संबंधों में आगे और मजबूती आएगी।’भारत-मलेशिया के साथ आने से इन 7 चीजों से टूटेगी चीन-पाकिस्तान की कमर!
 

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने 7  समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें वीजा, वायु सेवा और शेक्षणिक योग्यताओं के परस्पर मान्यता पर समझौते अहम हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चीन और पाकिस्तान को काफी नुकसान हो सकता है। इससे चीन और पाकिस्तान के बीच व्यापार के साथ-साथ साउथ चाइन सी का मुद्दा भी शामिल है।

बताते चलें कि मलेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति के मूल में है। साल 2010 से दोनों देश सामरिक साक्षीदार रहे हैं। भारत के विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में मलेशिया का निवेश काफी अच्छा है।

दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात में साउथ चाइना सी का जिक्र सीधे तौर पर तो नहीं हुआ, लेकिन दोनों ने अंतरराष्ट्रीय कानून के अंतर्गत आने वाले बिना बाधा के व्यापार की प्रतिबद्धता को दोहराया। इसका जिक्र साल 1982 की संयुक्त राष्ट्र की ‘समुद्री कानून संधि’ में है।

बताते चलें कि साउथ चाइना सी पर विवाद के बाद चीन ने संयुक्त राष्ट्र की ‘समुद्री कानून संधि’ के तहत बनाए गए अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल को मानने से इनकार कर दिया था। चीन ने साउथ चाइना सी पर लगभग अपना कब्जा कर लिया था। उसने वहां आर्टिफिशियल आइलैंड के साथ-साथ अपनी सेना भी तैनात कर दी थी। 

मोदी और रजाक ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता पर भी बात की। इससे चीन और पाकिस्तान के लिए कड़ा सदेंश गया। 

दोनों देशों ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ आतंकवादी संगठनों के खात्मे तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्हें ऐसे देशों के खिलाफ भी सख्त रुख अख्तियार करना चाहिए जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनकी मदद करते हैं। इसमें इस बात को कोट किया गया कि ‘आतंकवाद को शहीद कहकर उसका महिमामंडन नहीं करना चाहिए।’ यह बुरहान वानी मामले में पाकिस्तान की तरफ इशारे में कड़ा संदेश है।

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