अजब-गजबअद्धयात्म

मंदिर में 2 हजार वर्षों से जल रही है अखंड ज्योति

भोपाल : मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बीजा नगरी और यहां पर स्थित है शक्ति स्वरूपा मां हरसिद्धि का चमत्कारी मंदिर। मान्यता है कि यहां लगभग 2000 वर्षों से अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित है जो कि हवा चलने पर नहीं बुझती। मंदिर के बारे में कहा जाता है यहां कई प्रकार के चमत्‍कार होते रहते हैं। एक दिन हरसिद्धि ने राजा को सपने में दर्शन दिए और राजा से बीजानगरी में ही मंदिर बनवाने और उस मंदिर का दरवाजा पूर्व दिशा में रखने का कहा। राजा ने वैसा ही किया। उसके बाद माताजी फिर राजा के सपने में आईं और कहा कि वो मंदिर में विराजमान हो गई हैं और तुमने मंदिर का दरवाजा पूर्व में रखा था, पर अब वह पश्चिम में हो गया है। राजा ने देखा तो उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही, क्‍योंकि मंदिर का द्वार वाकई पश्चिम में हो गया था।
मंदिर की ख्याति दूरदराज तक फैली हुई है। प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी माताजी के मंदिर में माथा टेक चुके हैं। दिनभर में माता के तीन रूप दिखाई देते है। मां की मूर्ति में सुबह बचपन का, दोपहर में जवानी का और शाम को बुढ़ापे का रूप नजर आता है। यहां जल रही अखंड ज्योति को जलाने में डेढ़ क्विंटल तेल प्रतिमाह लगता है, जबकि नवरात्रि के दौरान 10 क्विंटल तेल लग जाता है। यहां मनौती के लिए श्रद्धालु गोबर से उल्‍टा स्वस्तिक बनाते हैं जब मन्नत पूर्ण हो जाती है तो वे पुन: मंदिर में आकर सीधा स्वस्तिक बनाते हैं। नवरात्रि में घट स्‍थापना के बाद से यहां पर नारियल नहीं फोड़ा जाता, अष्‍टमी के बाद ही यहां नारियल फोड़ा जाता है। ग्राम में कई बार कुएं या नींव की खुदाई के दौरान पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां निकलती हैं, जो कि रखरखाव नहीं होने से अपना अस्तित्‍व खो चुकी हैं। यह मंदिर मध्‍यप्रदेश पुरातत्‍व विभाग के अधीन है। यहां के रखरखाव की जिम्मेदारी भी विभाग की है। लोगों को शिकायत है कि मंदिर का रखरखाव ठीक से नहीं होता। विभाग की अनुमति नहीं होने से लोग भी यहां विकास कार्य नहीं करवा पाते। ऐसी मान्‍यता है कि उज्‍जैन के राजा विक्रमादित्‍य के समय उनके भानजे विजयसिंह का यहां पर शासन था। विजयसिंह उज्‍जैन में स्थित मां हरसिद्धि के बहुत बड़े भक्त थे और वे रोज स्‍नान के बाद अपने घोड़े पर बैठकर उज्‍जैन स्‍थित मां हरसिद्धि के मंदिर में दर्शन के लिए जाते थे और उसके बाद ही भोजन करते थे।

Related Articles

Back to top button