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यहां हर बेटी को सरस्वती बनाने में जुटी यह सरस्वती

राजकीय प्राथमिक विद्यालय जीवनगढ़ की सहायक अध्यापक सरस्वती उनियाल क्षेत्र की हर बेटी में सरस्वती को देखती है। वह स्कूल के बाद गरीब बेटियों को शिक्षा के लिए प्ररित कर रही है।

विकासनगर: एक तरफ कई सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपनी जिम्मेदारी का भी निर्वाह नहीं कर पा रहे, वहीं कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं, जिन्होंने ड्यूटी के बाद का समय भी समाज सेवा को समर्पित कर दिया है। ऐसी ही एक शिक्षक हैं, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जीवनगढ़ की सहायक अध्यापक सरस्वती उनियाल। वह किशोरियों को शिक्षा, स्वच्छता, परिवार नियोजन, स्वास्थ्य व कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम संबंधी जानकारी देकर उन्हें जागरूक करने का काम कर रही हैं। सरस्वती का मुख्य फोकस अल्पसंख्यक समुदाय की उन किशोरियों पर है, जिनके परिजन बालिकाओं को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं लेते। सरस्वती के प्रयास से आज कई बेटियां इंटर व स्नातक कर रही हैं।

अपने नाम को साकार करती सरस्वती ने जब कुरैशी मोहल्ला जीवनगढ़ में देखा कि अभिभावक बेटियों को पांचवीं से आगे पढ़ा ही नहीं रहे, तो उन्हें बड़ा कष्ट हुआ। वह अभिभावकों से नित्य संपर्क साधने के साथ उनके सुख-दुख में भी भागीदार बनने लगीं। प्रतिफल यह रहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के अभिभावकों ने अपनी बेटियों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया। आज गुलजरीन, साबिया, हिना, सब्बो, रूबी, फराह, फिजा, चांदबेबी, फरहीन समेत कई बेटियां इंटर से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई कर रही हैं।  मूलरूप से सहसपुर ब्लॉक के भगवानपुर निवासी सरस्वती रोजाना स्कूल समय से एक घंटे पहले घर से निकलकर सीधे अल्पसंख्यक महिलाओं के बीच पहुंचती हैं और उन्हें शिक्षा के फायदे बताकर बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं। मुस्लिम बहुल जीवनगढ़ व अंबाड़ी में 2004 से अब तक वह 250 बेटियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ चुकी हैं। कुरैशी मोहल्ला जीवनगढ़ में जहां बेटियों को पांचवीं से आगे पढ़ाने से परहेज किया जाता था, आज वहां की बेटियां न केवल उच्च शिक्षा ले रही हैं, बल्कि बीएड व कंप्यूटर कोर्स करने में भी उनकी रुचि जगी है।

बालिका शिक्षा का बढ़ावा देने पर सरस्वती को आधा दर्जन पुरस्कार मिल चुके हैं। सरस्वती बताती हैं कि बेटियां दो परिवारों की जिम्मेदारी संभालती हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं संस्कार देकर देश का भविष्य तैयार करती हैं। इतिहास गवाह है कि किसी भी व्यक्ति, समाज, संस्कृति व देश के विकास में महिलाओं की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। इसलिए बेटी को हर हाल में शिक्षित किया जाना चाहिए। 

सरस्वती को मिले पुरस्कार

-नौ मार्च 2016: महिला दिवस पर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने को द रूरल एजुकेशन व वेलफेयर सोसायटी की ओर से पुरस्कार

-चार जुलाई 2016: राज्यसभा सांसद रहे तरुण विजय की ओर से मां नंदा देवी सम्मान

-पांच सितंबर 2016: उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से सम्मान

-आठ सितंबर: रोटरी साक्षरता मिशन की ओर से नेशन बिल्डर्स अवार्ड

-नौ नवंबर 2016: जीवनगढ़ पंचायत की ओर से हमारे गौरव सम्मान

-6 जनवरी 17: अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से स्मृति चिह्न व प्रमाण पत्र 

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