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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस के तहत ट्रांजैक्शंस का आंकड़ा 30 करोड़ के पार


बेंगलुरु : नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के तहत बैंक टू बैंक अकाउंट सेटलमेंट का जो मैकेनिजम शुरू किया है, उसने 30 करोड़ मासिक ट्रांजैक्शन का आंकड़ा पार कर लिया है। एनपीसीआई के डेटा के अनुसार, यूपीआई के तहत अगस्त में 31.2 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए, जो जुलाई में हुए 23.56 करोड़ से 32 प्रतिशत ज्यादा हैं। बैंकर्स ने कहा कि ट्रांजैक्शन में यह उछाल बड़े पैमाने पर इसको लोगों के स्वीकार करने और अपनी भुगतान जरूरतों के लिए यूपीआई के इस्तेमाल को बढ़ाने के चलते आया है। पिछले साल सितंबर में यूपीआई ने 3 करोड़ ट्रांजैक्शन दर्ज किए थे। साथ ही 5,293 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर की गई थी। वहीं इस साल अगस्त में यूपीआई के माध्यम से 54,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए।

एनपीसीआई के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर दिलीप अस्बे ने कहा था, यूपीआई के तहत पीयर टु पीयर पेमेंट्स की व्यवस्था ने इसमें काफी मदद की। अब कोशिश पर्सन टु मर्चेंट स्पेस तक विस्तार की होगी। उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि आगामी दो सालों में यूपीआई पर 10 करोड़ से ज्यादा यूजर हो जाएंगे। पिछले महीनों की तरह अगस्त में यूपीआई पेमेंट्स के तहत औसतन 1,800 रुपये की रकम का ट्रांजैक्शन किया गया। बड़े ट्रांजैक्शन के लिए परंपरागत रूप से बैंक टू बैंक ट्रांसफर में इस्तेमाल हो रही इमीडिएट पेमेंट्स सर्विस (IMPS) का इस्तेमाल किया गया। RBI के डेटा के अनुसार, अप्रैल-जून के बीच आईएमपीएस के माध्यम से होने वाली भुगतान राशि औसतन लगभग 10,000 रुपये की रही। एक प्राइवेट बैंक के एक सीनियर बैंकर ने कहा, भारतीय उपभोक्ताओं के लिए यूपीआई छोटी रकम के भुगतान का ऑप्शन बनकर उभरा है। वास्तव में इसने नकद भुगतान को चुनौती दी है।

भारत में यूपीआई को लेकर ग्लोबल टेक कंपनियों और इंडियन टेक स्टॉर्टअप्स के बीच खींचतान भी देखने को मिली है। चूंकि इसका प्लेटफार्म थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशंस को बैंकों के साथ पार्टनरशिप करने और कंज्यूमर ट्रांजैक्शंस की प्रोसेसिंग की इजाजत देता है।

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