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लोकसभा में प्रस्ताव पास, कश्मीर पर कोई समझौता नहीं

all_party_meetings_12_08_2016नई दिल्ली। कश्मीर मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक शुरू हो गई है। इससे पहले लोकसभा में कश्मीर पर एक प्रस्ताव पास हुआ, जिसमें हिंसा पर चिंता जताई गई, लेकिन यह भी कहा गया कि सुरक्षा और भारत की अखंडता पर कोई समझौता नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर के नेताओं से वार्ता पर जोर दिया गया है।

सरकार और विपक्ष- दोनों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर की जनता को एक सुर में संदेश देने के लिए सर्वदलीय बैठक की बड़ी अहमियत है। खास तौर पर इसलिए भी क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस बैठक में मौजूद हैं।

बैठक में हालात सुधारने को लेकर सरकार और विपक्ष का सुर भले एक होगा। मगर घाटी में सुरक्षा रणनीति में आए बदलाव से लेकर पाकिस्तान को लेकर कथित डांवाडोल नीति पर विपक्ष सरकार को घेरेगा। कांग्रेस का कहना है कि जब सरकार मानती है कि घाटी में आतंकी हिंसा के पीछे पाकिस्तान है तो फिर वह इस्लामाबाद से सख्ती से क्यों नहीं डील कर रही है।

कांग्रेस के मुताबिक, एनडीए सरकार की कभी नरमी तो कभी गरमी की डांवाडोल नीति के चलते मुंबई आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर भारत का बना दबाव खत्म हो गया है और उसकी कारस्तानी बढ़ गई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ समय पहले सरकार की पाक नीति को लेकर कुछ इसी तरह के सवाल दागे थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद बैठक में इन सवालों को दोहराएंगे। जबकि माकपा और जनता दल (यूनाइटेड) ने तो खुले तौर पर पैलेट गन के इस्तेमाल का मुद्दा उठाने का संदेश दे दिया है।

वहीं सरकार ने भी खुफिया ब्यूरो, मिलिट्री इंटेलिजेंस से लेकर तमाम एजेंसियों की रिपोर्ट के साथ घाटी में पिछले एक महीने से अधिक समय से जारी उपद्रवी हिंसा की रिपोर्ट तैयार कर ली है। सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, विपक्षी पार्टियां जमीनी हालात से रूबरू नहीं हैं। इसीलिए वे सड़क पर उतरती भीड़ की कार्रवाई को धारा 144 के उल्लंघन सरीखी निगाहों से देख रही हैं।

जबकि इसके पीछे पाकिस्तान और घाटी के अलगाववादी तत्वों की सुनियोजित आतंकी रणनीति है। सरकार का मानना है कि जिस तरह श्रीनगर में उपद्रवी भीड़ सुरक्षा बलों से सीधे मोर्चा ले रही है, वह साफ तौर पर आतंकी तत्वों का समर्थन है और इसकी इजाजत कतई नहीं दी जा सकती।

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