अजब-गजब

विडियो: डाक का लिफाफा खोलते ही इस व्यक्ति के पैरों तले ज़मींन खिसक गई जमीन

हमारे देश में भ्रस्टा चार रुके का नाम ही नही ले रहा है रोज़ हमें कोई न कोई नयी खबर सुनने को मिल जाती है जो की वास्तव में सत्य होती है अगर देखा जाये तो आयेदि कोई म कोई फर्जीवाड़े का मामला सामने आता ही रहता है और आपको पता भी नही चलता की किस समय देश में औं सी घटना घाट गयी और ऐसी घटनाये न जाने कितनो को सदमे में डाल देती है| बता दें कि राजस्थान के एक शहर में फर्जी पैनकार्ड का मामला सामने आया है।

हमारे देश में प्रतिदन न जाने कितने गलत काम होते है जो की कानून के दाएरे से बहार होते है| आज हम आपो एक ऐसा ही मामले के बारे में बताने जा रहे है जिसको सुनने के बाद आपके पैरो तले से ज़मीं खिसक जाएगी| दरअसल हम आपो बता दे की ये पूरा मामला पैन कार्ड से सम्बंधित है जो की तलवंडी निवासी सम्राट चड्ढा के घर का है| और ये शहर में फर्जी पैनकार्ड के बनने का मामला है। तो चलिए अब हम आपको बताते है इसकी पूरी कहानी विस्तार से इस कार्ड में डीसीएम निवासी एक अन्य व्यक्ति का मोबाइल नंबर है, जबकि जिस व्यक्ति के घर यह पैन कार्ड पहुंचा, उसके पास पहले से ही पैनकार्ड हैं।

मामले के अनुसार तलवंडी निवासी सम्राट चढ्ढा के घर बुधवार दोपहर डाक आई और उन्होंने जब लिफाफा खोला तो उनकी ऑंखें फटी की फटी रह गयी उसमे उनके नाम का एक फर्जी पैन कार्ड था| जिस पर दुसरे व्यक्ति की फोटो लगी थी| साथ में हस्ताक्षर और मोबाइल नंबर फर्जी था| फिर सबसे बड़ी बात ये है कि कैसे इस व्यक्ति का नक़ली पेन कार्ड बन गया और कैसे इसके पास दूसरा पेन कार्ड पहुँच गया? जब जाँच की गयी तो बेहद चोंकाने वाली जानकारी सामने आयी जिसके बारे में जानकार हर सही व्यक्ति के होश उड़ सकते हैं, जानकारी के मुताबिक  उन्होंने यह भी बताया की उनका पैन कार्ड 4 फरवरी 2006 में बना था| और यह फर्जी पैन कार्ड 29 जून 2017 को बना है| उनके इस फर्जी पैन कार्ड के लिफाफे पर एक नंबर दिया है|

बात करने पर वह व्यक्ति डीसीएम क्षेत्र का निकला उसने पैन कार्ड की जानकारी होने से मन कर दिया| अभी यह अमला ख़त्म नही हुआ है अब आइये आपको बताते है की आगे की कहानी क्या है| आपकी जानकारी के लिए बता दे की उस लिफाफे पर जो नंबर पड़ा था वह भी फर्जी था और ऐसी अन्खोंदेखी घटना जब चड्ढा ने अपनी ज़िन्दगी में देखि तो उनके तो जैसे दिमाग ही काम नही कर रहा था| और वह सोच में डूब गए थे| उन्हें कुछ भी आगे समझ में नही आ रहा था| की आगे उनको क्या करना चाहिए|

और इतना सब होने के बाद जब चड्ढा ने उस फर्जी पैन कार्ड के लिफाफे पर पड़े नंबर पर फोन लगाया तो उनको यह मालूम चला की यह फर्जी पैन कार्ड तो डी सी ऍम क्षत्र का है और यहाँ के लोगो ने इस पैन कार्ड के बारे में कुछ भी जानकारी देने से माना कर दिया| लेकिन सोचने की बात ये है कि अचानक मोदी सरकार के आने के बाद ही घोटालेबाज़ क्यूँ पकड़े जा रहे हैं।

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